भारतीय शेयर मार्केट : गुब्बारे की तरह फूला दिए गए शेयरों में बड़ी गिरावट से सीखें भी
निफ्टी,बैंक निफ्टी ऐतिहासिक सार्वकालिक ऊंचाइयां बना रहें हैं परंतु अधिकाशं शेयरों में तब भी गिरावट है, लगातार है, लंबे समय से है अधिकांश दिन गिरने वाले शेयरों की संख्या बढ़ने वाले शेयरों से अधिक है।

शशांक भारद्वाज, सीनियर वीपी, चॉइस ब्रोकिंग
भारतीय शेयर मार्केट में निवेशक हतप्रभ हैं,आश्चर्यचकित हैं। निफ्टी,बैंक निफ्टी ऐतिहासिक सार्वकालिक ऊंचाइयां बना रहें हैं परंतु अधिकाशं शेयरों में तब भी गिरावट है, लगातार है, लंबे समय से है अधिकांश दिन गिरने वाले शेयरों की संख्या बढ़ने वाले शेयरों से अधिक है। 52 सप्ताह के नीचे भाव छूने वाले शेयर अधिक है। 50 से 80 प्रतिशत गिर जाने वाले बहुत से शेयरों में भी क्रय नहीं आ रहा है। क्या इसे एक यथार्थ का परीक्षण रियलिटी टेस्ट माना जाए? लगता तो ऐसा ही है।पहले सामान्यतया सूचकांकों में तेजी आती थी तो उसके साथ अधिकाशं शेयर चल देते थे।अब लगता है, मार्केट तथा निवेशक इस भेंड़चाल से दूर हैं।
50,100 की पीई का युग लदेगा
लघु अवधि में यह पीड़ा दायक है, क्योंकि जिन निवेशकों ने शेयर ले रखें हैं,उनका निवेश मूल्य घट रहा है परन्तु दीर्घ अवधि में यह मार्केट तथा निवेशक व्यवहार एवं सोच प्रक्रिया को परिपक्व करेगा।अब कंपनियों पर दबाव होगा कि वो अच्छा प्रदर्शन करेंगे तभी उनके शेयर मूल्य में वृद्धि होगी,नहीं करेंगे तो गिरावट होगी तथा बनी रहेगी। मार्केट में न्यायोचित मूल्यांकन का विस्तार होगा, महत्व बढ़ेगा। अनुचित ऊंची पी ई नहीं मिलेंगी। 50,100 की पीई का युग लदेगा।
अभी ऐसे बहुत से शेयरों में बड़ी गिरावट दिखी जिनकी पी ई अनुचित अधिक थी ।ऐसे शेयरों में और भी अधिक गिरावट आ सकती है। लाभ तथा मार्केट कैप का भी अनुचित अनुपात नहीं चलेगा।अनेकबुरी बातें,घटनाक्रम भी अच्छी सीख देतें हैं।
अतिरेक शेयर मार्केट का स्वभाव
भारतीय शेयर मार्केट में गुब्बारे की तरह फूला दिए गए शेयरों में बड़ी गिरावट से एक बड़ी तथा अच्छी सीख यह मिल रही है कि किसी भी शेयर को मूल्य उसके आधारभूत कारकों के आधार पर ही दें। अतिरेक शेयर मार्केट का स्वभाव है।तेजी में तेजी का अतिरेक, मंदी में मंदी का।इन अतिरेकों से बचना एक सफल निवेश की अनिवार्य शर्त है।अब उन शेयरों में बड़ी मंदी आ सकती है जिनमें एक आशा रैली तथा फोमो के कारण कई गुणा की तेजी आ गई थी , पी ई 100 से ऊपर हो गया था।मार्केट अब पी ई को सम्मान तथा दंड भी देने के मनोभाव में आ रहा है।
इस बार की मंदी का एक बड़ा लाभ
इस बार की मंदी का एक बड़ा लाभ यह हो सकता है कि भारतीय निवेशक अब प्रमोटर्स को अकारण बिना प्रदर्शन पुरस्कृत नहीं करेंगे।अभी के ट्रेंड में अब बहुत शेयर बड़ी गिरावट के कारण अत्यंत आकर्षक मूल्यों पर आ गए हैं। अतः वित्तीय कारकों प्रदर्शन के आधार पर अच्छे तथा खराब शेयरों में एक स्पष्ट विभाजन दिख रहा है,हो रहा है। अच्छे प्रतिफल के निवेश के लिए इन आधारों पर अच्छे चयन की आवश्यकता है । पिछले सप्ताह निफ्टी ने 26325 का सार्वकालिक उच्चतम स्तर बनाया परंतु साप्ताहिक आधार पर 16 अंक नीचा रहा। तकनीकी आधार पर निफ्टी में सशक्त संकेत है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों का सतत विक्रय
समस्या विदेशी संस्थागत निवेशकों का सतत विक्रय है।पिछले सप्ताह के सभी पांचों व्यापारिक सत्रों में उन्होंने नकद संभाग में बिकवाली की तथा कुल 10404 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।निफ्टी में कुछ भी हो, कोई भी स्तर हो उनकी बिकवाली बनी हुई है।दिसंबर का अभी एक सप्ताह हुआ है एवं fii ने 10483 करोड़ रुपए के शेयर बेच दिए हैं ।इंडेक्स फ्यूचर में भी उन्होंने 6533 करोड़ रुपए के शेयर बेचे ही हैं। सामने भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सप्ताह के सभी पांचों दिन क्रय किया।कुल 19785 करोड़ रुपए के शेयर उन्होंने क्रय किए।
यूएस के डाउ में 238 अंकों की तेजी
यूएस के डाउ में 238 अंकों की तेजी रही। डॉलर इंडेक्स 98.97 है,100 से नीचे बना हुआ है,भारतीय शेयर मार्केट के लिए सकारात्मक है।ब्रेंट क्रूड 63.42 डॉलर प्रति बैरेल है।यू एस बॉन्ड यील्ड 4.13 पर शक्तिशाली बनी हुई है। भारत में कम लागत की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सतत कार्य हो रहा है। आरबीआई ने बैंक दर में .25 प्रतिशत की कमी की है।आगे भी कमी का संकेत दिया है। भारतीय शेयर मार्केट अब अपने लिए एक नई परिभाषा गढ़ रहें हैं जिसमें शेयर विशेष मूल्यांकन,पीई ,लाभ तथा मार्केट कैप अनुपात अब सर्वोच्च कारक दिख रहें हैं तथा भेंड़चाल के दिन लद रहें हैं। अब निवेश नीति इसी आधार पर बनाने से ही अच्छा प्रतिफल मिल सकेगा । अब एक के बाद एक ,ऐसे शेयरों में जो बहुत अधिक बढ़ गए थे तथा अपने आर्थिक कारकों की तुलना में बहुत महंगे हो गए थे,पीई बहुत हो गई थी,उनमें बड़ी गिरावट आ सकती है।ध्यान रखिए मार्केट शेयर विशेष केंद्रित होते जा रहा है।जो इतिहास से सीख नहीं लेते,वो स्वयं इतिहास बन जाते हैं।शेयर मार्केट में भी।


