भाजपा में अब राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सियासी हलचल तेज
उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान ओबीसी को सौंपकर भाजपा ने बड़ा संदेश देने का काम किया है, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कमान सवर्ण वर्ग के किसी नेता को दी जा सकती है।

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी लंबे अर्से से राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में है। यूपी जैसे भारी भरकम स्टेट के नेतृत्व का निर्णय इसमें एक बड़ी बाधा बना हुआ था। अब यह बाधा दूर हो गई है। आज पार्टी यूपी अध्यक्ष के तौर पर केबिनेट मंत्री पंकज चौधरी के नाम का ऐलान कर देगी। दरअसल, कल पंकज चौधरी के एक मात्र नामांकन के साथ यह बात तय हो चुकी है, आज औपचारिक ऐलान होगा। ओबीसी से आने वाले पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी सूबे में समाजवादी पार्टी के “पीडीए” वाले गणित पर वार करना चाहती है। पार्टी का मानना है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए यह जरूरी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज
देश के सबसे बड़े राज्य में संगठन की जिम्मेदारी ओबीसी नेता को देने के बाद अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि यूपी में ओबीसी को आगे बढ़ाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष पद की कमान किसी अगड़े समुदाय के नेता को सौंपी जा सकती है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भाजपा ने ईस्टर्न यूपी को तरजीह दी है, उससे लगता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान अगड़े नेता को देकर पार्टी वेस्ट यूपी को साधने का काम करेगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर ये नाम हैं चर्चा में
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में जिन नामों की चर्चा है, उनमें ज्यादातर ओबीसी समुदाय से आते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। इसके अलावा पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा महासचिव सुनील बंसल के नाम भी सुर्खियों में हैं। हालांकि, भाजपा का इतिहास बताता है कि पार्टी नेतृत्व चयन में अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेता रहा है।
जनवरी के दूसरे पखवाड़े में तेज होगी प्रक्रिया
14 जनवरी को खरमास समाप्त होते ही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को तेज कर सकती है। पार्टी के संविधान के अनुसार, 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से कम से कम 19 में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव है। उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष का चयन हो चुका है और अब कर्नाटक, हरियाणा, दिल्ली और त्रिपुरा जैसे कुछ ही राज्य शेष हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में अब कोई बड़ी बाधा नहीं मानी जा रही है।


