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रविवार के दिन गुड़ और तांबे का दान क्यों है विशेष? जानें कैसे करें व्रत

व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं। आदित्य स्तोत्र का पाठ करें और ‘ऊं सूर्याय नमः’ व ‘ऊं घृणि सूर्याय नमः’ मंत्रों का जाप करें।

रविवार के दिन गुड़ और तांबे का दान क्यों है विशेष? जानें कैसे करें व्रत
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नई दिल्ली, आईएएनएस। पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रविवार शाम 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इसके बाद एकादशी शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा रात 9 बजकर 41 मिनट तक कन्या राशि में रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

सूर्य कमजोर है तो रविवार को व्रत करें

इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से या फिर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो आप रविवार का व्रत रख सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि यदि किसी कारणवश आप व्रत नहीं रह सकते हैं, तो आप इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में तांबे के लोटे में सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें और इस दिन तामसिक भोजन या फिर बाल कटवाने से परहेज करें। पुराणों के अनुसार, रविवार के दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष मिलता है।

जानें कब शुरू करें रविवार का व्रत

रविवार का व्रत शुरू करने के लिए जातक किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, वे आदित्य स्त्रोत का पाठ और 'ऊं सूर्याय नमः' और 'ऊं घृणि सूर्याय नमः' का जाप जरूर करें। ऐसा करने से भी विशेष लाभ मिलता है। व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

गुड़ और चने के दान का है विशेष महत्व

रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें। रविवार के दिन काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।


Dhiraj Dhillon

Dhiraj Dhillon

धीरज ढिल्लों दो दशकों से अधिक समय से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान दैनिक हिंदुस्तान और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में नोएडा और गाजियाबाद क्षेत्र में गहन रिपोर्टिंग की है। प्रिंट मीडिया के साथ-साथ, उन्होंने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी काम किया है। उनकी लेखनी में निष्पक्षता, तथ्यपरकता और गहरी विश्लेषण क्षमता स्पष्ट रूप से झलकती है। समसामयिक विषयों के साथ-साथ स्वास्थ्य, जीवनशैली, विकास संबंधी मुद्दों और राजनीति में उनकी गहरी रुचि रही है। उन्होंने पांच वर्षों तक Centre for Advocacy & Research (CFAR) के साथ मिलकर सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार कार्य किया है।

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