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पौष कालाष्टमी पूजन: काल भैरव देव की उपासना का पर्व, भय मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए

हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव देव की उपासना का पर्व 'कालाष्टमी' मनाया जाता है। पौष माह की कालाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है।

YBN Desk
पौष कालाष्टमी पूजन: काल भैरव देव की उपासना का पर्व, भय मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए
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नई दिल्ली। हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव देव की उपासना का पर्व 'कालाष्टमी' मनाया जाता है। पौष माह की कालाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। इस तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से यश, कीर्ति, धन, ऐश्वर्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

काल भैरव देव की उपासना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं का नाश होता है। भक्तजन काल भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से पूजा करते हैं। रात में जागरण और अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है। माना जाता है कि काल भैरव की कृपा से जीवन से दुख, दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार

पौष माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कालाष्टमी का पूजन भी है। ऐसे में कई जातक इस दिन को लेकर असमंजस में हैं, लेकिन इसका उत्तर द्रिक पंचांग में उपलब्ध है, जिसके अनुसार कालाष्टमी 11 दिसंबर को मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का भी योग रहा है।

कालाष्टमी की पूजा

पंचांगानुसार, अष्टमी तिथि 11 दिसंबर दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 12 दिसंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। कालाष्टमी की पूजा शाम में होती है, इसलिए व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा। कालाष्टमी का व्रत सप्तमी तिथि के दिन भी हो सकता है। पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि जिस तिथि को अष्टमी तिथि प्रबल होती है, उस दिन इसका व्रत किया जाता है।

भगवान काल भैरव को समर्पित

कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव को समर्पित है। इस दिन भगवान का पूजन करने मात्र से जातक के जीवन से भय, बाधा, और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। विशेषकर रात्रि में भैरव चालीसा, भैरव स्तोत्र, या ॐ कालभैरवाय नमः मंत्र का जाप करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। भगवान काल भैरव को उड़द दाल, काले तिल, और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही कालाष्टमी के दिन, काले कुत्ते को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि कुत्ता काल भैरव का वाहन है।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

इसी के साथ ही इस तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से यश, कीर्ति, धन, ऐश्वर्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।दरअसल, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पूजन ज्यादातर रात में ही होता है। इसलिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 11 दिसंबर को ही मनाया जाएगा।


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