Top
Begin typing your search above and press return to search.

'धुरंधर' को लेकर विवाद क्यों?, विवेक रंजन बोले- 'नैरेटिव कंट्रोल खिसकने का डर, ये आफ्टरशॉक है'

सोशल मीडिया पर अपने लेख को पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, "'धुरंधर' को लेकर जो प्रतिक्रियाएं दिख रही हैं, यह कोई नया या अलग विवाद नहीं है। मिक्स्ड रिव्यूज, नकारात्मक शब्दावली जैसे 'खतरनाक', 'इंफ्लेमेटरी' और 'इरादों पर हमले' यह पहले भी हुए हैं।

धुरंधर को लेकर विवाद क्यों?, विवेक रंजन बोले- नैरेटिव कंट्रोल खिसकने का डर, ये आफ्टरशॉक है
X

आदित्य धर के निर्देशन में बनी फिल्म 'धुरंधर' बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है। स्पाई थ्रिलर 250 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है। कुछ क्रिटिक्स ने इसे 'प्रोपेगेंडा', 'नेशनलिज्म' और 'एंटी-पाकिस्तान नैरेटिव' करार दिया। इसी बीच फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इस विवाद को पुराने पैटर्न से जोड़ते हुए अपने विचार व्यक्त किए।

यह एक 'आफ्टरशॉक' है

सोशल मीडिया पर अपने लेख को पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, "'धुरंधर' को लेकर जो प्रतिक्रियाएं दिख रही हैं, यह कोई नया या अलग विवाद नहीं है। मिक्स्ड रिव्यूज, नकारात्मक शब्दावली जैसे 'खतरनाक', 'इंफ्लेमेटरी' और 'इरादों पर हमले' यह पहले भी हुए हैं। यह एक 'आफ्टरशॉक' है, यानी भूकंप के बाद का झटका। वही पुरानी घबराहट और प्रतिक्रियाएं दोहराई जा रही हैं, जो पहले साल 2016 में आई मेरी फिल्म 'बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम' को लेकर भी हुई थीं।"

'नैरेटिव जमींदार'

उन्होंने आगे बताया, "वजह यह है कि कुछ एलीट क्लास, जिन्हें 'नैरेटिव जमींदार' कहा जा सकता है, कहानी पर अपना लंबे समय का नियंत्रण खिसकता देख रही हैं। ये 'जमींदार' तय करते हैं कि कौन सी कहानी स्वीकार्य है और कौन सा नजरिया सुरक्षित। उन्हें विवाद से नहीं, बल्कि 'विस्थापन' से डर लगता है यानी उनकी नैरेटिव पावर का आम लोगों या नए नजरिए की ओर जाना।

'धुरंधर' जैसी फिल्में, जो राष्ट्रवादी थीम पर खुलकर बात करती हैं और रियल इवेंट्स जैसे कंधार हाइजैक, 26 नवंबर से इंस्पायर्ड हैं, पुराने कंट्रोल को चुनौती देती हैं। इसलिए वही पुरानी प्रतिक्रिया- आलोचना, चुप्पी या नैतिक आक्रोश देखने को मिल रही है।"

फिल्में राजनीति से ज्यादा महत्वपूर्ण

अग्निहोत्री कहते हैं, "फिल्में राजनीति से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। राजनीति सरकारें या कानून बदलती हैं, जो रद्द हो सकते हैं। लेकिन, फिल्में लोगों का खुद के बारे में सोचने का तरीका बदलती हैं। एक कहानी मन में बस जाए तो स्थायी नजरिया बन जाता है। सिनेमा चुपके से चीजों को 'सामान्य' कर देता है, भावनाओं और सामूहिक यादों को आकार देता है। जब यह प्रक्रिया एलीट कंट्रोल से बाहर होती हैं, तो उनके लिए यह अस्तित्व का सवाल बन जाता है।"

'धुरंधर' में रणवीर सिंह के अलावा अक्षय खन्ना, आर माधवन, संजय दत्त, अर्जुन रामपाल, राकेश बेदी, सारा अर्जुन जैसे सितारे हैं। फिल्म को कुछ लोगों द्वारा क्रिटिसाइज भी किया जा रहा है, यहां तक कि बहरीन, कुवैत समेत कई गल्फ देशों में फिल्म को बैन किया गया है।आईएएनएस


Mukesh Pandit

Mukesh Pandit

पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1989 में अमर उजाला से रिपोर्टिंग से करने वाले मुकेश पंडित का जनसरोकार और वास्तविकत पत्रकारिता का सफर सतत जारी है। उन्होंने अमर उजाला, विश्व मानव, हरिभूमि, एनबीटी एवं दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में फील्ड रिपोर्टिंग से लेकर डेस्क तक अपनी सेवाएं दीं हैं। समाचार लेखन, विश्लेषण और ग्राउंड रिपोर्टिंग में निपुणता के साथ-साथ उन्होंने समय के साथ डिजिटल और सोशल मीडिया को भी बख़ूबी अपनाया है। करीब 35 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ मुकेश पंडित आज भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं और जनहित, राष्ट्रहित और समाज की सच्ची आवाज़ बनने के मिशन पर अग्रसर हैं।

Related Stories
Next Story
All Rights Reserved. Copyright @2019
Powered By Hocalwire