Order : बूथ कैप्चरिंग मामले में खतौली विधायक मदन भैया बरी, 29 साल पुराना मामला खत्म
लोकसभा चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग के आरोपों से जुड़े करीब 29 साल पुराने मामले में खतौली विधायक मदन भैया को अदालत से बड़ी राहत मिली है।

ग़ाज़ियाबाद, वाइबीएन रिपोर्टर
लोकसभा चुनाव के दौरान बूथ बिजनेस के सहयोगियों से जुड़े करीब 29 साल पुराने मामले में खतौली के विधायक मदन भैया को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सबूतों के अभाव में अदालत ने उन्हें दोष मुक्त करार दिया। इसके साथ ही लंबे समय तक कोर्ट में रहने के कारण यह आस्पिटेंट मामला समाप्त हो गया।
7 मई 1996 का मामला
यह मामला 7 मई 1996 का है, जब लोकसभा चुनाव के दौरान लोनी क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या-112, प्राथमिक विद्यालय सरफुदीनपुर जावली में मतदान चल रहा था। उस समय आरोप लगाया गया था कि सत्यवादी समाजवादी पार्टी के नेता मदन भैया ने अपने गनरों और समर्थकों के साथ मतदान केंद्र पर क्षेत्र और बूथों की घटना को अंजाम दिया। पोर्टफोलियो के अनुसार वोटिंग प्रक्रिया में अवरोध डाला गया और लाइब्रेरी को स्थापित किया गया।
29 साल चला केस
घटना के बाद संबंधित धारा में मामला दर्ज कर पुलिस जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पुलिस ने कई लोगों से पूछताछ की और पूछताछ की। हालांकि, पुलिस ने 14 स्थानीय लोगों के नाम की सूची नीचे से हटा दी है। मामले की सुनवाई वर्षों तक अदालत में चलती रही। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से गवाही और साक्ष्य पेश किए गए, लेकिन वे आरोप पूरी तरह साबित करने में असफल रहे। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि प्रमाणिक दोष सिद्ध करने के लिए उपयुक्तता नहीं है। इसी आधार पर कोर्ट ने नेता मदन भैया और उनके गनर खेमचंद को बैर कर दिया।
टीम मदन भैया में खुशी की लहर
फैसले के बाद मदन भैया ने खुशी का माहौल देखा। समर्थकों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित था और अदालत के फैसले से सच्चाई सामने आ गई है। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष ने अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया पर निर्णय लेने की बात कही है। अदालत के इस फैसले के साथ ही करीब तीन दशक से चल रहा यह मामला अपने अंजाम तक पहुंचा। लंबे समय से नासिका प्रकरण का अंत होने से एक और अध्याय का अंत हो चुका है।


