Politics : कांग्रेस की ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ महारैली: बड़ी परीक्षा
कांग्रेस पार्टी इस समय अपने अब तक के सबसे कठिन राजनीतिक दौर से गुजर रही है। हालिया चुनावी नतीजों, विशेषकर बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद

ग़ाज़ियाबाद, वाइबीएन रिपोर्टर
कांग्रेस पार्टी इस समय अपने अब तक के सबसे कठिन राजनीतिक दौर से गुज़र रही है। अनाथालय के सामने अविश्वास, बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के संगठन का पतन और दिवालियापन के विश्वास की वापसी की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। ऐसे हालात में कांग्रेस एक बार फिर सड़कों पर उतरकर अपनी सेना की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में रविवार को दिल्ली में 'वोट चोर गड्डी छोड़ो' के नारे के साथ कांग्रेस के लिए प्रस्तावित महारैली को बेहद अहम माना जा रहा है।
अंतिम तैयारी
इस महारैली की सफलता को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रदीप नरवाल पहले ही संस्कृतिमंडल की बैठकों के माध्यम से दिशा-निर्देश दे चुके हैं। वहीं, गाजियाबाद से रैली की जिम्मेदारी जिला कांग्रेस अध्यक्ष शशि शर्मा और महानगर अध्यक्ष वीर सिंह जाटव की है। दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्र में लगातार दौरा कर रहे हैं और दृढ़ विश्वास के साथ अधिक से अधिक संख्या में दिल्ली पहुंच की अपील कर रहे हैं।
एकजुट हुई
बताया जा रहा है कि दोनों देशों के प्रमुखों के बयानों में सबसे पहले यह मौका है, जब गाजियाबाद कांग्रेस एकजुटता दिल्ली में बड़ी शक्ति का प्रदर्शन करने जा रही है। ऐसे में यह रैली सिर्फ पार्टी के लिए नहीं है, बल्कि सतीश शर्मा और वीर सिंह जाटव की संयुक्त क्षमता और नेतृत्व कौशल की भी अहम समीक्षा की जा रही है। टॉप लीडरशिप की नजरें भी गाजियाबाद समेत आसपास के साज-सजावट से आने वाली भीड़ पर टिकी हुई हैं।
कठिन परीक्षा
हालाँकि स्थिर राजनीतिक यांत्रिकी और बिजली के बीच की स्थिर स्थिति को जोड़ना आसान नहीं माना जा रहा है। विनाश और विनाश के बावजूद दोनों राष्ट्रपति रैली को सफल बनाने को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस की ताकतें आज भी जिंदा हैं और गाजियाबाद की मजबूत दिल्ली की रैली में जरूर शामिल हों। अब रविवार को पिरामिड पार्टिसिपेंट्स पर टिकी हैं कि क्या यह महारैली कांग्रेस में नई ऊर्जा भर्ती है।


