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Pollution : गाजियाबाद में AQI 454: जहरीली हवा ने लोगों का जीना किया मुश्किल

वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 दर्ज किया गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। इस स्तर पर हवा में

Pollution : गाजियाबाद में AQI 454: जहरीली हवा ने लोगों का जीना किया मुश्किल
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गाजियाबाद,वाईबीएन रिपोर्टर

वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 दर्ज किया गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। इस स्तर पर हवा में मौजूद जहरीले कण सीधे तौर पर इंसानी स्वास्थ्य पर हमला करते हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि सांस लेना भी लोगों के लिए चुनौती बनता जा रहा है। सुबह-शाम शहर के कई इलाकों में धुंध की मोटी चादर छाई रहती है, जिससे दृश्यता कम होने के साथ-साथ लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है

सांसों पर लगा पहरा

प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को हो रही है। विशेष रूप से सांस की तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, एलर्जी और बच्चों के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। दार्शनिकों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसे ही अमीरात में रहने से फेफड़े और हृदय संबंधी चिकित्सकों का खतरा कई गुना बढ़ गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को घर में ही रहने के लिए मजबूर किया जाता है, वहीं कई माता-पिता बच्चों को घर में ही रखने के लिए मजबूर करते हैं। प्रदुषण बढ़ने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। सामुहिक में सामुहिक से आख़री वाला स्मार्च, निर्माण कार्य से उड़ती गंदगी, औद्योगिक इकाइयों का सामान और पराली का असर सामूहिक रूप से हवा को साझीदार बना रहे हैं। इसके अलावा ठंड के मौसम में हवा की गति कम होने से प्रदूषक कण वातावरण में ही अजीब रहते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।

जरूरी उपाय हुआ असफल

प्रशासन द्वारा तोड़फोड़ पर रोक लगाने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, जैसे निर्माण कार्यों पर निगरानी, ​​पानी का मिश्रण और लोगों से मशीनरी और वाहनों की अपील। हालाँकि, ग्राउंड लेवल पर इन मोज़ों का असर सीमित ही दिख रहा है। विशेषज्ञ का मानना ​​है कि जब तक ठोस और कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ढलानों में सुधार मुश्किल है। ग़ाज़ियाबाद के लोग जॉकी हवा में जीने को मजबूर हैं। स्वच्छ हवा के लिए प्रशासन और जनता दोनों को मिलकर गंभीर प्रयास करना होगा, तभी आने वाली बस्ती को इस संकट से मुक्ति मिलेगी।



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