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मोबाइल और टीवी सीरियल बने पारिवारिक कलह का कारण : आचार्य बोले- परिवार बचाने को डिजिटल अनुशासन जरूरी

श्रीरामलीला पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथा व्यास पं. गोविंद मिश्रा ने कहा कि समाज में बढ़ती आपसी दूरी, अविश्वास और बाहरी दिखावे की प्रवृत्ति को दूर करने के लिए भागवत कथा का संदेश अत्यंत आवश्यक हैं।

मोबाइल और टीवी सीरियल बने पारिवारिक कलह का कारण : आचार्य बोले- परिवार बचाने को डिजिटल अनुशासन जरूरी
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कथाव्यास पं. गोविंद मिश्रा Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। वर्तमान समय में घरों में कलह की मुख्य वजह मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग और टीवी सीरियल हैं। मोबाइल ने परिवार के सदस्यों को अलग-अलग कमरों में पहुंचा दिया है और सीरियल्स ने घर जोड़ने की जगह घर तोड़ने की सीख देना शुरू कर दिया है। जिससे घरों में अनावश्यक विवाद पैदा हो रहे हैं। विश्वनाथ मंदिर के 34वें स्थापना दिवस पर सेक्टर - 'ए', सीतापुर रोड योजना कॉलोनी स्थित श्रीरामलीला पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथा व्यास पं. गोविंद मिश्रा ने कहा कि समाज में बढ़ती आपसी दूरी, अविश्वास और बाहरी दिखावे की प्रवृत्ति को दूर करने के लिए भागवत कथा का संदेश अत्यंत आवश्यक हैं।

आचार्य ने भक्त प्रह्लाद के अदम्य विश्वास, अतुलनीय भक्ति और सत्य की विजय का प्रेरक प्रसंग सुनाया। उन्होंने प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अटूट निष्ठा, हिरण्यकश्यप के अत्याचार और अंततः नरसिंह अवतार के माध्यम से धर्म की स्थापना का मनमोहक वर्णन किया। कथा सुनते ही श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और पूरा पंडाल जय श्री नारायण के उद्घोष से गूंज उठा।

कथाव्यास ने जड़ भरत की कथा सुनाते हुए बताया कि किस प्रकार बाहरी रूप से असामान्य दिखने वाला व्यक्ति भी भीतर से कितना उच्च, धैर्यवान और ज्ञानवान हो सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में आज भी लोग व्यक्ति को उसके बाहरी व्यवहार, रूप-रंग और स्थिति से आंक लेते हैं, जबकि असली व्यक्तित्व उसकी आत्मिक शक्ति और कर्म में निहित होता है।

बताया कि आज की पीढ़ी को प्रह्लाद के धैर्य, साहस और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेनी चाहिए। वहीं जड़ भरत की कथा सिखाती है कि हमें बिना निर्णय किए हर व्यक्ति को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इस मौके पर बाल निकुंज स्कूल्स एंड कॉलेजेज के एमडी एचएन जायसवाल, कोऑर्डिनेटर सुधीर मिश्रा, प्रिंसिपल रश्मि शुक्ला, शैलेन्द्र सिंह, अरविंद दीक्षित सहित काफी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।

वहीं शाम को वृंदावन से आए कलाकारों ने मुनि आगमन और ताड़का वध का अत्यंत मनोहारी और सजीव मंचन प्रस्तुत किया, जिसने उपस्थित भक्तों को आध्यात्मिक भाव में सराबोर कर दिया। कलाकारों ने संवाद, भंगिमाओं और नृत्य के माध्यम से इस पौराणिक प्रसंग को जीवंत भाव से दर्शाया।

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