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UP : निजी बिजली कंपनी पर आयोग ने कसा शिकंजा, करना होगा ये काम, नहीं तो...

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आगरा में बिजली सप्लाई करने वाली निजी कंपनी पर शिकंजा कसा है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की आगरा स्थित फ्रेंचाइजी टोरेंट पावर को भी ऑडिट करवाना होगा।

UP : निजी बिजली कंपनी पर आयोग ने कसा शिकंजा, करना होगा ये काम, नहीं तो...
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अधिकतम मियाद बीतने के डेढ़ महीने बाद भी बिजली की नई दरें तय नहीं Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आगरा में बिजली सप्लाई करने वाली निजी कंपनी पर शिकंजा कसा है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की आगरा स्थित फ्रेंचाइजी टोरेंट पावर को भी ऑडिट करवाना होगा। आयोग ने अपने टैरिफ आदेश में इस बारे में स्पष्ट निर्देश दक्षिणांचल को जारी किए हैं। आयोग ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगले साल की बिजली दरें तय करने के लिए आने वाले वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव के साथ टोरेंट पावर की ऑडिट रिपोर्ट भी दाखिल की जाए। टोरेंट पावर का ऑडिट न होने पर बिजली दरों की सुनवाई के दौरान राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आपत्ति जताई थी। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि टोरेंट पावर अत्यधिक लाभ कमा रहा है।

स्वतंत्र ऑडिट होना जरूरी

लिहाजा बिलिंग पैरामीटर समेत अन्य परिचालन मानकों का स्वतंत्र ऑडिट होना जरूरी है। इससे ही यह साफ हो सकेगा कि यह फ्रेंचाइजी अपने अधिकार क्षेत्र में आयोग से निर्धारित नियमों और मानकों का पालन कर रही है या नहीं। आयोग ने सुनवाई के बाद जारी टैरिफ आदेश में साफ कर दिया है कि टोरेंट पावर का भी ऑडिट करवाना होगा। आयोग ने आदेश में कहा है कि यह लाइसेंसी (दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम) की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि फ्रेंचाइजी सभी प्रचलित नियमों, विनियमों और अनुमोदित टैरिफ का पालन करे।

वसूलकर नहीं दिए 2200 करोड़

वर्मा ने कहा कि टोरेंट पावर को कॉरपोरेशन का 2200 करोड़ रुपये वसूल कर कॉरपोरेशन को देना था। अब तक यह रकम वापस नहीं की गई है। उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर पिछले ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने तीन सदस्यीय समिति से जांच करवाई थी। हालांकि, वह रिपोर्ट दबा ली गई। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और सभी बिजली व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए ऑडिट जरूरी है। सीएजी सभी कंपनियों की तरह टोरेंट और एनपीसीएल का भी ऑडिट करे।

एआरआर दाखिल, आदेश का उल्लंघन

बिजली कंपनियों ने वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर दिया है। इस एआरआर में टोरेंट का ऑडिट दाखिल नहीं किया गया है। जो स्पष्ट तौर पर नियामक आयोग के आदेश का उल्लंघन है। आयोग पहले ही बिजली कंपनियों को 15 दिसंबर तक एआरआर दाखिल करने की मोहलत दे चुका था।

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