नोएडा: पांच साल बाद भी नहीं शुरू हुआ जमीन अधिग्रहण
सिकंदराबाद–नोएडा मुआवजा अंतर से बढ़ी चुनौती, नया नोएडा कार्यालय के लिए जमीन नहीं मिली, काम में देरी बरकरार

नोएडा, वाईबीएन डेस्क: नए नोएडा के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार होने के बावजूद पिछले पांच साल में न तो जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो सकी है और न ही किसानों को मिलने वाली मुआवजा दरों पर सहमति बन पाई है। स्थिति यह है कि गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जिले के अधिकारियों के बीच मुआवजा योजना पर अब तक संयुक्त बैठक भी नहीं हो पाई है। इस बीच दोनों जिलों के कई गांवों में लगातार निर्माण कार्य जारी है।
80 गांव शामिल, 15 गांवों में पहले चरण में अधिग्रहण
नया नोएडा क्षेत्र कुल 80 गांवों में फैला है, जिनमें से 20 गांव गौतमबुद्ध नगर और 60 गांव बुलंदशहर जिले में आते हैं। प्राधिकरण पहले चरण में 15 गांवों की 3,165 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करेगा। प्रत्येक गांव में लगभग 200 किसान परिवार होने के चलते करीब 16,000 परिवार प्रभावित होंगे। किसानों से बातचीत कर आपसी सहमति से भूमि लेने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं शासन ने 29 अगस्त 2017 को दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र (DNGIR) का गठन किया था। शुरुआत में इस क्षेत्र को विकसित करने का जिम्मा यूपीसीडा को दिया गया, लेकिन 29 जनवरी 2021 को आंशिक संशोधन के बाद इसे नोएडा प्राधिकरण को सौंप दिया गया। मास्टर प्लान–2041 को अक्टूबर 2024 में अंतिम मंजूरी मिल चुकी है, फिर भी जमीन अधिग्रहण का कार्य लंबित है।
मुआवजे पर असहमति, बड़ी चुनौती बन रही दरें
मुआवजा तय करना प्राधिकरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सिकंदराबाद क्षेत्र में मुआवजा 800 से 1,700 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक है, जबकि नोएडा में यह 5,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक मिलता है। नया नोएडा क्षेत्र के किसान भी नोएडा जैसी मुआवजा दर की मांग कर रहे हैं, जिस पर प्राधिकरण सहमत नहीं है। एक हाइब्रिड मॉडल के तहत मुआवजा राशि और विकसित भूमि का कितना हिस्सा किसानों को वापस मिलेगा इसकी रूपरेखा भी तैयार की जा रही है। यह प्रस्ताव दोनों जिलों की संयुक्त बैठक में तय कर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा।
कार्यालय स्थापित करने में भी देरी, जमीन की तलाश जारी
नए नोएडा के लिए कार्यालय तक फाइनल नहीं हो पाया है। प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने जोखाबाद या सांवली गांव के पास अस्थाई कार्यालय के लिए लगभग 2,000 वर्ग मीटर जमीन खोजने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक जमीन अंतिम रूप नहीं ले सकी है। अधिसूचित गांवों में अवैध निर्माण रोकने के लिए प्राधिकरण ने सख्ती बढ़ा दी है। बिना अनुमति भूमि खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई गई है और दो अधिकारियों को गांवों की निगरानी के लिए तैनात किया गया है। चेतावनी बोर्ड लगाने के बावजूद कई स्थानों पर अवैध निर्माण जारी है। नए नोटिफिकेशन के बाद ऐसे निर्माणों को अवैध मानकर प्राधिकरण व प्रशासन संयुक्त रूप से इन्हें ध्वस्त करेगा।


