Noida Police का बड़ा खुलासा, ई स्कूटी घोटाले में तीन करोड़ ठगे
4200 करोड़ रुपये के बाइक वोट घोटाले के बाद पुलिस ने ई-स्कूटी घोटाले का खुलासा किया है। ई-स्कूटी स्कीम के नाम पर तीन करोड़ की ठगी की बात सामने आई है।

नोएडा, वाईबीएन डेस्क। देश में चर्चित 4200 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले के बाद ई- स्कूटी घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामले में फेस- दो थाना पुलिस ने ईको जैप स्मार्ट मोबिलिटी कंपनी के निदेशक गौरव मिश्रा के भाई सौरभ मिश्रा को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सौरभ को भंगेल नाले के पास से दबोचा और कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने आरोपी को जेल भेज दिया है। बता दें कि कंपनी का निदेशक गौरव मिश्रा पहले ही साइबर ठगी एक मामले में गाजियाबाद की डासना जेल में है।
एपीके फाइल के जरिए साइबर ठगी का आरोप
पुलिस के मुताबिक गौरव मिश्रा पर गेमिंग एप और व्हाट्स एप के जरिए एपीके फाइल भेजकर साइबर ठगी करने और रकम को कंपनी के खातों में खपाने का आरोप है। पुलिस कंपनी के खातों को खंगाल रही है। पुलिस ने बताया कि बिहार के दरभंगा जिले में जयदेव पट्टी गांव का रहने वाले गौरव मिश्रा और उसकी मां नूतन मिश्रा ने जनवरी, 2025 में ‘ईको जैप स्मार्ट मोबिलिटी’ नाम से कंपनी बनाई। बताया गया कि कंपनी ई- वाहनों में डील करती थी। चैतन्य बिल्डिंग में कंपनी का आलीशान कार्यालय खोला गया था, गौरव का भाई सौरभ मिश्रा भंगेल के एमकेएम अपार्टमेंट में रह रहा था।
शातिर मां-बेटे की कंपनी ने ई- स्कूटी में निवेश का झांसा दिया
मां- बेटे ने “इको जैप स्मार्ट मोबिलिटी” कंपनी के जरिए लोगों को ई- स्कूटी में निवेश का झांसा दिया। स्कीम के मुताबिक एक स्कूटी के लिए 85 हजार रुपये निवेश करने पर हर माह 7000 रुपये ग्राहक को मिलने थे। यह रकम तीन साल तक ग्राहक के खाते में भेजने का दावा किया गया था। पुलिस के मुताबिक भंगेल में रहने वाले सरफराज ने 1.70 लाख रुपये और दीपांशु ने करीब सात लाख रुपये निवेश किए थे।
दो-तीन महीने तक ग्राहकों को भेजी गई राशि
दावे के मुताबिक शुरुआती दो-तीन महीने तक उनके खाते में राशि भी आई, लेकिन बाद में पैसा आना बंद हो गया। दोनों कंपनी कार्यालय पहुंचे तो वहां कुछ नहीं मिला, कार्यालय बंद हो चुका था। पीड़ितों ने मामले में पुलिस को तहरीर दी। उसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के बाद सौरभ मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब तक आरोपित 50 से अधिक लोगों से करीब तीन करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं।
कंप्यूटर साइंस में बीटेक है गौरव मिश्रा
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी के मुताबिक पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि गौतमबुद्धनगर के एक कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर चुका गौरव मिश्रा साइबर ठगों के नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। वह दिल्ली, गाजियाबाद, लखनऊ, रामपुर और रायबरेली के कई आरोपितों के संपर्क में था। योजना के तहत गेमिंग एप और एपीके फाइल के जरिए ठगी की रकम को गौरव के 100 करोड़ रुपये लिमिट वाले एक्सिस बैंक के करंट अकाउंट में डालकर खपाने की तैयारी थी।
साइबर ठगी का पैसा खपाने को खोली गई थी कंपनी
आशंका जताई जा रही है कि साइबर ठगी से हासिल रकम को ई-स्कूटी निवेश योजना के जरिए “व्हाइट मनी” में बदला जा रहा था। ठगी का पैसा खपाने के लिए “इको जैप स्मार्ट मोबिलिटी” नाम से कंपनी बनाई गई थी। पुलिस पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है। डीसीपी ने बताया मामले में अभी और गिरफ्तारियां होंगी।

