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दीपावली को यूनेस्को की ICH सूची में मिली जगह, विश्वगुरु की ओर बढ़ रहे कदम

विश्वपटल पर फिर बढा भारतीय संस्कृति का महत्व, चहुंओर खुशी की लहर शहर में खुशी की लहर शाहजहांपुर में प्रतिष्ठित लोगों ने दी प्रतिक्रियाएं, उल्लास का माहौल है, बताया भारतीय संस्कृति की आत्मा का सम्मान

दीपावली को यूनेस्को की ICH सूची में मिली जगह, विश्वगुरु की ओर बढ़ रहे कदम
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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः भारतीय संस्कृति के लिए यह एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने दीपावली को अपनी इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज ICH सूची में शामिल कर लिया है। इस निर्णय ने न केवल दीपावली की वैश्विक पहचान को बढ़ाया है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत को भी नया सम्मान दिलाया है।

यह पहली बार है जब किसी भारतीय उत्सव को भारत में आयोजित यूनेस्को बैठक के दौरान ऐसा अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ है। इससे पहले भारत की 15 सांस्कृतिक विरासतों को यूनेस्को मान्यता दे चुका है। दीपावली के जुड़ने से भारतीय परंपराओं को एक मज़बूत वैश्विक पहचान मिली है—वह पहचान जिसकी ओर ‘विश्व गुरु भारत’ की कल्पना निरंतर बढ़ रही है।

शहर में खुशी की लहर, प्रतिष्ठित लोगों ने दी प्रतिक्रियाएं

शहर शाहजहांपुर में भी इस उपलब्धि को लेकर उल्लास का माहौल है। विभिन्न प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने इसे भारतीय संस्कृति की आत्मा का सम्मान बताया।

गायत्री परिवार के सूरज वर्मा ने दीपावली को वैदिक और विज्ञानसम्मत पर्व बताते हुए कहा कि दीप प्रज्वलन वायुमंडल को परिष्कृत करता है।

डॉ. विजय पाठक का कहना है कि भारतीय पर्व व मान्यताएँ विज्ञानसम्मत हैं; वसुधैव कुटुम्बकम की भावना उनमें निहित है।”

डॉ. गौरव मिश्रा ने दीपावली को सुख-समृद्धि का सूचक कहा और भारतीय पर्वों को वैज्ञानिक आधार वाला बताया।

समाजसेवी चिकित्सक डा संगीता मोहन ने कहा यह हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। दीपावली आध्यात्मिकता और उजाले का वैश्विक प्रतीक बन चुकी है।

होम्योपैथिक शोध चिकित्सक समाजसेवी डा. रवि मोहन ने इस उपलब्धि को भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।

मुमुक्षु शिक्षा संकुल के सचिव पूर्व प्राचार्य अवनीश कुमार मिश्रा ने कहा, यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने की प्रेरणा देगा। दीपावली केवल उत्सव नहीं, बल्कि मूल्य और संस्कारों की पाठशाला है।

डॉ. आलोक कुमार सिंह के अनुसार यह सरकार की मजबूत इच्छा शक्ति और भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर स्थापित करने का परिणाम है।”


शाहजहांपुर: संस्कृति और अध्यात्म की पवित्र भूमि बनी क्रांतिधरा

शाहजहांपुर स्वयं भी भारतीय अध्यात्म और संस्कृति की विरासत को समेटे हुए है।

यहाँ रामचंद्र मिशन के संस्थापक बाबूजी महाराज की जन्मस्थली है।

यह भूमि भगवान परशुराम, दैत्य गुरु शुक्राचार्य और श्रृंगी ऋषि की तपस्थली रही है।

शहर के पवित्र ढाई घाट और गंगा घाट भारतीय संस्कृति की विशेषता—पवित्रता, अध्यात्म और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक हैं। गंगा का जल आज भी ‘अक्षय’ माना जाता है, जो भारतीय परंपराओं की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है।

दीपावली का वैश्विक सम्मान, भारत के आत्मविश्वास का नया प्रकाश

यूनेस्को की सूची में शामिल होना न सिर्फ दीपावली की चमक बढ़ाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति, अध्यात्म और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को दुनिया तक पहुँचाने वाला एक भव्य संदेश भी देता है।

आखिर क्या है यूनेस्को की ICH सूची ... जानिए विस्तार से

ICH को अंग्रेजी में Intangible Cultural Heritage तथा हिंदी में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर कहते हैं।

अमूर्त धरोहर वे सांस्कृतिक तत्व होते हैं जो किसी देश, क्षेत्र या समुदाय की परंपराओं, ज्ञान, कला, रीति-रिवाज़, कौशल, प्रथाएँ और सामाजिक मान्यताओं को दर्शाते हैं। ये भौतिक वस्तुएँ नहीं, बल्कि जीवित परंपराएं होती हैं।

उदाहरण : लोकगीत, लोकनृत्य, पर्व-त्योहार, योग, रामलीला, काशी की गंगा आरती, लोककथाएं, हस्तकला तकनीक, खान-पान की पारंपरिक विधियाँ आदि।

ICH सूची का गठन कब और कैसे हुआ, पढिये

मूल समझौता – 2003

यूनेस्को ने वर्ष 2003 में "Convention for the Safeguarding of Intangible Cultural Heritage" को अपनाया।

यह वही वर्ष माना जाता है जब अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों को औपचारिक रूप से संरक्षित करने की वैश्विक व्यवस्था शुरू हुई।

2006 से सम्मेलन

2003 के कन्वेंशन को कई देशों ने 2006 तक स्वीकार किया।

20 अप्रैल 2006 से यह कन्वेंशन औपचारिक रूप से लागू हो गया।

पहली ICH सूची – 2008 से

2008 से यूनेस्को ने देशों की परंपराओं को आधिकारिक तौर पर

ICH Lists में शामिल करना प्रारंभ किया।

ICH सूची के मुख्य प्रकार

यूनेस्को अपनी अमूर्त धरोहर को तीन प्रमुख सूचियों में बांटता है:

1. Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity

दुनिया भर की ऐसी परंपराएँ जो मानवता की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती हैं।

उदाहरण: भारत की रामलीला, योग, छऊ नृत्य, गरबा आदि।

2. List of Intangible Cultural Heritage in Need of Urgent Safeguarding

वे परंपराएं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं और जिन्हें तत्काल संरक्षण की जरूरत है।

उदाहरण: कुछ दुर्लभ लोककला, भाषा आधारित परंपराएँ आदि।

3. Register of Good Safeguarding Practices

सांस्कृतिक तत्वों को बचाने के सफल और प्रभावी प्रयासों का वैश्विक रिकॉर्ड।

ICH सूची का उद्देश्य

लुप्त होती परंपराओं को बचाना

लोक संस्कृति को संरक्षित करना

स्थानीय समुदायों की पहचान को मजबूती देना

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना

पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मदद करना

भारत और ICH का संबंध

भारत की कई परंपराएं ICH सूची में शामिल हैं, जैसे—

रामलीला

योग

नवरात्रि का गरबा

कुड़ियत्टम

वैद्य परंपरा

छऊ नृत्य

बौद्ध मंत्रोच्चारण

काशी की गंगा आरती (2023 में प्रस्तावित, कई राज्य कार्य कर रहे हैं)


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