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वैज्ञानिकों की कमी के बावजूद देश-विदेश में चमकी शाहजहांपुर के यूपी गन्ना शोध परिषद की परफॉर्मेंस, नई प्रजातियां बनीं किसानों की पहली पसंद

113 वर्ष पुरानी यूपी गन्ना शोध परिषद वैज्ञानिकों की दो-तिहाई कमी और संसाधनों के संकट के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। लाल सड़न रोग रोधी नई प्रजाति कोशा-18231 की प्रदेश में रिकॉर्ड मांग है। कम लागत में अधिक उत्पादन व अधिक चीनीपरता से मांग बढी है।

वैज्ञानिकों की कमी के बावजूद देश-विदेश में चमकी शाहजहांपुर के यूपी गन्ना शोध परिषद की परफॉर्मेंस, नई प्रजातियां बनीं किसानों की पहली पसंद
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गन्ना शोध परिषद में आयोजित मिठास मेला में किसानों ने यंग भारत न्यूज से विचार भी साझा किए Photograph: (वाइबीएन)

शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता : 113 वर्ष पुराने उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद पर वैज्ञानिकों की भारी कमी, फंड संकट, पेंशन अवरोध जैसे प्रशासनिक दबाव लगातार बढ़ रहे हैं। बावजूद इसके वैज्ञानिकों ने प्रजाति विकास और उत्पादन क्षमता में ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसने पूरे प्रदेश के 45 जिलों में गन्ना खेती को नई दिशा दी है। लाल सड़न रोग रोधी नई प्रजाति कोशा-18231 की प्रदेशभर में बढ़ती मांग इसका बड़ा उदाहरण है।---

गंभीर स्टाफ संकट के बीच भी उत्कृष्ट शोध

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद Photograph: (वाईबीएन)

गन्ना शोध परिषद में दो-तिहाई वैज्ञानिकों के पद खाली हैं। बमुश्किल 30% कार्यबल के सहारे पूरी परिषद चल रही है। वैज्ञानिकों 20 प्रतिशत डीएम कम मिल रहा है। सेवानिवृत्त दो तिहाई कम पेंशन पा रहे हैं, लेकिन शोध कार्य पर असर नहीं पड़ा। पिछले कुछ वर्षों में लगातार नई उन्नतशील प्रजातियां तैयार की गईं।

कोश- 18231: किसानों की पहली पसंद बनी सुपर वैरायटी

गंगानगर कृषि फार्म पर गन्ना खेती का निरीक्षण करते गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र
गंगानगर कृषि फार्म पर गन्ना खेती का निरीक्षण करते गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र Photograph: (वाईबीएन )

नई प्रजाति कोशा- 18231 लाल सड़न (रेड रॉट) रोग रोधी मानी जा रही है। प्रदेश के 45 जिलों में तेजी से फैल रही है। इस वर्ष की शरदकालीन बोआई में अब तक 55 लाख से अधिक बड्डे (गन्ने की आँखें) किसानों ने ले ली हैं। एक हेक्टेयर में 100 टन से अधिक उत्पादन देने की क्षमता चीनी- परता भी बेहतर होने के यह गन्ना किस्म पूर्वांचल पश्चिमांचल दोनों में लोकप्रिय है।

पुरानी प्रजातियों में रेड रॉट से संकट, नई किस्मों ने दी राहत

गन्ने की छिलाई करते किसान

सीओ 0238 जैसी लोकप्रिय किस्मों पर लाल सड़न रोग का प्रभाव बढ़ने से प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल घट रहा था। किसान वैकल्पिक प्रजातियों की मांग कर रहे थे। इसी दबाव में परिषद ने कोशा 17231, 18231, 13235, 19131 जैसी किस्मों पर तेजी से शोध किया और रिकॉर्ड समय में परिणाम दिए।

नई विकसित किस्मों के आंकड़े (Yield & Recovery)

कोशा-18231 : उपज: 1000 क्विंटल/हेक्टेयर (100 टन) , चीनी-परता: 9.5%

कोशा-13235 : किसान उपज: 2600 क्विंटल/हेक्टेयर, चीनी-परता: 9.75%

कोशा-17231ः उपज: 950 क्विंटल /हेक्टेय, चीनी-परता: 9.75%

कोशा-19131ः उपज: 1000 क्विंटल/हेक्टेयर चीनी-परता: 9.75%

सहारनपुर, मेरठ बरेली मंडल में 15% बढ़ा रकबा

शाहजहांपुर में गन्ना कटाई की जोरदार शुरुआत, किसानों के चेहरों पर लौटी रौनक
शाहजहांपुर में गन्ना कटाई की जोरदार शुरुआत, किसानों के चेहरों पर लौटी रौनक Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

पश्चिमी यूपी के जनपद सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मंडल में नई प्रजातियों का रकबा लगभग 15% बढ़ गया। जमाव (germination) उत्पादन अधिक लागत कम होने के कारण किसान नई गन्न किस्मों को अपना रहे हैं। चीनी परता भी अच्छा होने के कारण चीनी मिलों की से भी नई गन्ना किस्मों की बुवाई पर जोर दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी संस्थान की प्रतिष्ठा

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद स्थित शोध संस्थान भवन
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद स्थित शोध संस्थान भवन Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

कई प्रजातियों पर मिले सफल परिणामों के कारण नेपाल, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड के गन्ना विभाग चीनी मिल के अधिकारी और वैज्ञानिक भी प्रशिक्षण के लिए यूपी गन्ना शोध परिषद रहे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि संसाधन मिले और कर्मचारियों की कमी दूर हो जाए तो ब्रिटिश कालीन गन्ना शोध परिषद देश की मिठास बढाने के साथ ही किसानों की खुशवाली चीनी मिलो की प्रगति में अविस्मरणीय कार्य के साथ हाथ बंटा सकेगा।

प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव पाठक कहते हैं कि गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक शासन की मंशानुरूप बेहतर कार्य रहे हैं। नई गन्ना किस्मों को बेहतर प्रदर्शन होने से लगातार मांग बढ रही है।

मिठास मेला में गन्ना विकास यात्रा की जानकारी देते वैज्ञानिक अधिकारी डा अरिवंद कुमार
मिठास मेला में गन्ना विकास यात्रा की जानकारी देते वैज्ञानिक अधिकारी डा अरिवंद कुमार Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

पूर्व वैज्ञानिक अधिकारी डा सुरेश चंद्र मिश्रा का कहना है कि यदि पर्याप्त स्टाफ और संसाधन मिलें तो यूपीसीएसआर देश के प्रतिष्ठित संस्थान आइसीएआर के समकक्ष सबसे बड़ा गन्ना अनुसंधान केंद्र बन सकता है उन्होंने कहा कि गन्ना शोध परिषद प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ रहा है, सीओ 0238 गन्ना किस्म के विकल्प के रूप में कोशा 13235 गन्ना किस्म सामने है, जिससे किसान रिकार्ड 2600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ना उपज ले रहे हैं। जरूरत विज्ञानियों को 58 प्रतिशत डीए व पूर्ण पेंशन की है। इससे वैज्ञानिकों में उत्कृष्ट कार्य की प्रवृत्ति व होड बढेगी ।

मिठास मेला में गन्ना की आधुनिक तकनीक की जानकारी देते वैज्ञानिक अधिकारी डा जीएन गुप्ता
मिठास मेला में गन्ना की आधुनिक तकनीक की जानकारी देते वैज्ञानिक अधिकारी डा जीएन गुप्ता Photograph: (वाईबीएन)

मिठास ममेला में गन्ना विकास की जानकारी देते वैज्ञानिक
मिठास ममेला में गन्ना विकास की जानकारी देते वैज्ञानिक Photograph: (वाईबीएन)

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Narendra Yadav

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नरेंद्र यादव ने वर्ष 1998 में दैनिक जागरण से जुड़कर पत्रकारिता की शुरुआत की। खोजी पत्रकारिता, धर्म कर्म , प्रशासन, कृषि, राजनीति, शोधपरक सामयिक मुद्दों व अभियान आधारित खबरों पर प्रभावी रूप से कार्य किया। वर्ष 2007 में दैनिक जागरण समूह की ओर से खोजी पत्रकारिता अवॉर्ड प्रदान किया गया। देश के बहुचर्चित आसाराम के दुष्कर्म प्रकरण में तथ्यपरक रिपोर्टिंग के लिए विविध संस्थानों ने पुरस्कृत किया। वर्ष 2008 में जागरण ने सीनियर सब एडिटर/सीनियर रिपोर्टर के रूप में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर सम्मानित किया। जनवरी 2025 से नरेंद्र यादव young भारत न्यूज से जुड़े। ybn ने उन्हे शाहजहांपुर के स्थानीय संपादक के रूप में दायित्व सौंपा है।

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