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पटना में ईओयू की बड़ी कार्रवाई: बैंक अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी, राइस मिल से 40 लाख नकद बरामद

पटना में ईओयू ने बैंक अधिकारी भावेश कुमार सिंह के पटना और गोपालगंज के छह ठिकानों पर छापेमारी की। राइस मिल से 40 लाख नकद और पटना घर से कैश-ज्वेलरी जब्त। कई दस्तावेजों की जांच जारी।

पटना में ईओयू की बड़ी कार्रवाई: बैंक अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी, राइस मिल से 40 लाख नकद बरामद
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पटना में आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने शनिवार की सुबह सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भावेश कुमार सिंह के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को विस्तार देते हुए पटना और गोपालगंज में छह ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर चल रही है। शुरुआती जांच में ईओयू को यह संकेत मिला कि भावेश कुमार की संपत्ति उनकी घोषित आय से लगभग साठ प्रतिशत अधिक है, जिसके बाद अधिकारियों ने उनके आवास, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और पैतृक घर की जांच तेज कर दी।

ईओयू की टीम ने बिहटा में संचालित जय माता दी राइस मिल में तलाशी के दौरान चालीस लाख रुपये नकद बरामद किए, जिसे टीम ने तुरंत अपने कब्जे में ले लिया। इसके साथ ही पटना स्थित उनके आवास से नकदी और आभूषण भी जब्त किए गए हैं। जांच के दौरान अधिकारी बेड, अलमारियों और बैग तक की गहन तलाशी ले रहे हैं ताकि संपत्ति और लेनदेन से जुड़े किसी भी दस्तावेज की पुष्टि की जा सके।

सूत्रों के अनुसार भावेश कुमार का पैतृक ठिकाना गोपालगंज के जलालपुर गांव में है, जहां उनके नाम से भावना पेट्रोलियम नाम का एक पेट्रोल पंप संचालित होता है। ईओयू की टीम ने जब वहां तलाशी की, तो पेट्रोल पंप को सील कर दिया गया। अधिकारियों को संदेह है कि कथित अवैध आय का उपयोग व्यवसाय और स्थावर संपत्तियों को बढ़ाने में किया गया है।

इसके अलावा पटना के रूपसपुर थाने स्थित राम जयपाल नगर के पुष्पक रेसिडेंसी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 203 में दो घंटे से अधिक समय तक चली तलाशी में टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। वहीं अगमकुआं क्षेत्र में एक बहुमंजिला इमारत में भी छोटे-बड़े लेनदेन से जुड़े कागजातों की जांच की जा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि तलाशी अभियान अभी जारी है और संपत्तियों का पूरा मूल्यांकन होने के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी। ईओयू आने वाले दिनों में बैंक खातों, लेनदेन और संपत्ति से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच को भी आगे बढ़ाएगी, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कथित रूप से अर्जित अतिरिक्त संपत्ति कैसे बनाई गई और किन माध्यमों से वित्तीय गतिविधियां संचालित की गईं।


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