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डीयू के कन्वेंशन हॉल का नाम बदलकर ‘वंदे मातरम हॉल’ रखने का प्रस्ताव मंजूर

वाइस-चांसलर योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में, एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) इस बात पर सहमत हुई कि आर्ट्स फैकल्टी में कन्वेंशन हॉल को अब रेनोवेशन के बाद "वंदे मातरम हॉल" के नाम से जाना जाएगा।

डीयू के कन्वेंशन हॉल का नाम बदलकर ‘वंदे मातरम हॉल’ रखने का प्रस्ताव मंजूर
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने शुक्रवार को एकमत से एक बड़े हॉल का नाम बदलकर "वंदे मातरम हॉल" करने का फैसला किया और अपने खास फैसलों में सेंटर फॉर ओडिया स्टडीज़ बनाने को भी मंजूरी दी। वाइस-चांसलर योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में, एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) इस बात पर सहमत हुई कि आर्ट्स फैकल्टी में कन्वेंशन हॉल को अब रेनोवेशन के बाद "वंदे मातरम हॉल" के नाम से जाना जाएगा।

DU के 102वें कॉन्वोकेशन में चीफ गेस्ट होंगेवाइस प्रेसिडेंट

वाइस-चांसलर योगेश सिंह ने आने वाले एकेडमिक साल के लिए एक हाई-प्रोफाइल गेस्ट को कन्फर्म किया। सिंह ने कहा, "वाइस प्रेसिडेंट, सी पी राधाकृष्णन, 28 फरवरी, 2026 को होने वाले DU के 102वें कॉन्वोकेशन में चीफ गेस्ट होंगे। बैठक में चीफ इंजीनियर अशोक सैनी ने डीयू में चल रहे निर्माण और नवीनीकरण कार्यों की प्रगति से परिषद को अवगत कराया। कुलपति ने बताया कि डीयू में लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत से कई परियोजनाएं तेजी से पूरी हो रही हैं. आर्ट्स फैकल्टी परिसर में स्थित कन्वेंशन हॉल का नवीनीकरण का काम पूरा होने के बाद उसका नया नाम ‘वंदे मातरम हॉल’ रखने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे मंजूरी मिल गई है।

डीयू लिटरेचर फेस्टिवल 12–14 फरवरी को होगा

उपकुलपति योगेश सिंह ने बताया कि डीयू लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन 12 से 14 फरवरी 2026 तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि यह कार्यक्रम देश के सर्वोत्तम साहित्यिक उत्सवों में शामिल हो।

सेंटर फॉर उड़िया स्टडीज को मिली हरी झंडी

बैठक में आर्ट्स फैकल्टी में सेंटर फॉर उड़िया स्टडीज स्थापित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। उपकुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि यह सेंटर उड़िया भाषा, साहित्य, संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं पर व्यापक शोध और अध्ययन को प्रोत्साहित करेगा। सेंटर में उड़िया भाषा में दो वर्ष का एमए प्रोग्राम, शोध कार्यक्रम, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाएंगे।


Mukesh Pandit

Mukesh Pandit

पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1989 में अमर उजाला से रिपोर्टिंग से करने वाले मुकेश पंडित का जनसरोकार और वास्तविकत पत्रकारिता का सफर सतत जारी है। उन्होंने अमर उजाला, विश्व मानव, हरिभूमि, एनबीटी एवं दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में फील्ड रिपोर्टिंग से लेकर डेस्क तक अपनी सेवाएं दीं हैं। समाचार लेखन, विश्लेषण और ग्राउंड रिपोर्टिंग में निपुणता के साथ-साथ उन्होंने समय के साथ डिजिटल और सोशल मीडिया को भी बख़ूबी अपनाया है। करीब 35 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ मुकेश पंडित आज भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं और जनहित, राष्ट्रहित और समाज की सच्ची आवाज़ बनने के मिशन पर अग्रसर हैं।

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