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IPS Suicide Case: सरकार के इस एक्शन से खफा हुईं खाप पंचायत, विवाद बढ़ा

हरियाणा में आईपीएस वाई पूरन कुमार सुसाइड केस ने नया मोड़ लिया। सरकार ने रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया को हटाया, खाप पंचायतों ने फैसले का विरोध किया।

IPS Suicide Case: सरकार के इस एक्शन से खफा हुईं खाप पंचायत, विवाद बढ़ा
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रोहतक, वाईबीएन न्यूज। आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में विवाद गहराता जा रहा है। आत्महत्या के पांच दिन बाद हरियाणा सरकार ने रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया को पद से हटा दिया है, जिसके बाद खाप पंचायतों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश फैल गया। सरकार के इस फैसले के विरोध में मानसरोवर पार्क में पंचायत बुलाई गई, जिसमें खाप प्रतिनिधियों ने आईपीएस पूरन कुमार के निधन पर शोक जताते हुए एसपी बिजारणिया के खिलाफ की गई कार्रवाई का विरोध कड़ा विरोध दर्ज कराया।

“मामले को जातिगत चश्में से न देखे सरकार”

पंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार इस मामले को जातिगत चश्मे से न देखे और निष्पक्ष जांच कराए। उन्होंने कहा कि आईपीएस नरेंद्र बिजारणिया जैसे ईमानदार अधिकारी पर एकतरफा कार्रवाई करना गलत है। खाप नेताओं का कहना है कि इस निर्णय से समाज में जातिगत जहर फैलाने की कोशिश की जा रही है, जो सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक है।

निष्पक्ष जांच पर दिया जोर

इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप देशवाल ने भी मांग की कि वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और किसी निर्दोष अधिकारी या कर्मचारी को बलि का बकरा न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को बिजारणिया पर की गई कार्रवाई पर पुनर्विचार करना चाहिए। बता दें कि हरियाणा सरकार ने शनिवार को आदेश जारी कर नरेंद्र बिजारणिया को पद से हटाया और उनकी नई पोस्टिंग को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, मधुबन पुलिस अकादमी में तैनात आईपीएस सुरेंद्र सिंह भोरिया को रोहतक का नया एसपी बनाया गया है।
IPS Puran Kumar | IPS Suicide Case

Dhiraj Dhillon

Dhiraj Dhillon

धीरज ढिल्लों दो दशकों से अधिक समय से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान दैनिक हिंदुस्तान और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में नोएडा और गाजियाबाद क्षेत्र में गहन रिपोर्टिंग की है। प्रिंट मीडिया के साथ-साथ, उन्होंने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी काम किया है। उनकी लेखनी में निष्पक्षता, तथ्यपरकता और गहरी विश्लेषण क्षमता स्पष्ट रूप से झलकती है। समसामयिक विषयों के साथ-साथ स्वास्थ्य, जीवनशैली, विकास संबंधी मुद्दों और राजनीति में उनकी गहरी रुचि रही है। उन्होंने पांच वर्षों तक Centre for Advocacy & Research (CFAR) के साथ मिलकर सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार कार्य किया है।

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