कफ सिरप सिंडीकेट: ED का लखनऊ समेत 6 शहरों में छापेमारी
आखिर क्या है नशे के इस सिंडीकेट के पीछे छिपा एक बड़ा आर्थिक अपराध का 'कोड'?

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । यूपी के कफ सिरप सिंडीकेट मामले में प्रवर्तन निदेशालय ED ने लखनऊ, वाराणसी, अहमदाबाद समेत छह शहरों में 25 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। यह कार्रवाई अवैध कोडीन युक्त सिरप की कालाबाजारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग सिंडीकेट पर बड़ा प्रहार है। इस रैकेट के तार न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों तक फैले हैं, जिससे नशे के इस कारोबार के पीछे छिपी काली कमाई का बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है।
यह पूरा मामला सिर्फ अवैध दवा बिक्री का नहीं, बल्कि एक संगठित मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स सिंडीकेट का है। ED की टीमें शुक्रवार सुबह से ही लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर यूपी, अहमदाबाद गुजरात और रांची झारखंड में कार्रवाई कर रही हैं। छापेमारी का केंद्र लखनऊ का आरोपी आलोक सिंह और 11 अक्टूबर को गिरफ्तार दीपक मानवानी से जुड़े अन्य ठिकाने हैं।
ED की एंट्री से साफ है कि यह सिंडीकेट करोड़ों रुपये का कारोबार कर चुका है। नशे के लिए इस्तेमाल होने वाले कोडीन फॉस्फेट युक्त सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन की भारी मात्रा में खरीद-बिक्री की गई। क्या आप जानते हैं? कोडीन Codeine एक ओपिओइड है, जिसका इस्तेमाल खांसी की दवा में होता है, लेकिन इसकी लत लग सकती है। इसीलिए इसे बेचने के सख्त नियम हैं।
पुलिस की गिरफ्त से ED की रडार तक कैसे खुला जाल?
इस सिंडीकेट का पहला बड़ा खुलासा 11 अक्टूबर को हुआ, जब लखनऊ के कृष्णानगर में दीपक मानवानी के ठिकाने से भारी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप बरामद हुए और उसे गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में दीपक ने बताया कि वह ये नशीली दवाएं सूरज मिश्र और प्रीतम सिंह से खरीदता था।
पुलिस ने इन दोनों आरोपियों, सूरज मिश्र न्यू मंगलम आयुर्वेदिक का संचालक और प्रीतम सिंह को भी हाल ही में गिरफ्तार कर लिया है। इन गिरफ्तारियों से सिंडीकेट के सप्लाई चेन और नेटवर्क का पता चला। अब ED की छापेमारी यह जांच रही है कि इस अवैध व्यापार से अर्जित धन का इस्तेमाल कहां और कैसे किया गया, यानी मनी ट्रेल Money Trail क्या है।
मुख्य ठिकाने जहां ED ने बोला धावा: लखनऊ आरोपी आलोक सिंह के ठिकाने। वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर यूपी के अन्य शहरों में। अहमदाबाद सिंडीकेट के इंटर-स्टेट कनेक्शन की जांच। रांची झारखंड में नेटवर्क के फैलाव की पड़ताल।
क्या है मनी लॉन्ड्रिंग और ED की भूमिका?
मनी लॉन्ड्रिंग का सीधा मतलब है 'काले धन को वैध बनाना'। इस मामले में, अवैध तरीके से कफ सिरप बेचकर जो करोड़ों रुपये कमाए गए, ED अब उसी पैसे के लेन-देन की जांच कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय ED धन शोधन निवारण अधिनियम PMLA, 2002 के तहत कार्रवाई करता है।
नशे के कारोबार से जुड़ी काली कमाई को ठिकाने लगाने, संपत्ति खरीदने या उसे बैंकिंग सिस्टम में घुमाने की कोशिश करने पर ED ऐसे सिंडीकेट के खिलाफ मोर्चा खोलती है।
यह छापेमारी दर्शाती है कि नशे की लत से जुड़े इस कारोबार की जड़ें काफी गहरी और आर्थिक रूप से मजबूत हैं। इस सिंडीकेट का एक और साथी, आरुष सक्सेना, अभी भी फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस जुटी है। आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।


