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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा-यह कोई सामंती युग नहीं, अफसर पुराने दिनों के राजा नहीं

उत्तराखंड सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपी आईएफओएस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया और केंद्र से कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे। 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा-यह कोई सामंती युग नहीं, अफसर पुराने दिनों के राजा नहीं
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Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपी भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया और केंद्र से कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य से यह भी पूछा कि राहुल नामक अधिकारी के साथ 'खास बर्ताव' क्यों किया गया? जबकि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं।

राज्य सरकार ने कहा, अभियोजन की मंजूरी दी

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने पाया कि इसके बावजूद उन्हें विशेष पदस्थापना दी गई थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता प्राधिकारियों की ओर से पेश हुए। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने राहुल को छोड़कर सभी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। प्रधान न्यायाधीश ने आदेश दिया, आज यह सूचित किया गया है कि राज्य सरकार ने उक्त अधिकारी के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति दे दी है। प्रस्तुत किया गया है कि जहां तक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के अंतर्गत स्वीकृति का प्रश्न है... राज्य सरकार का कहना है कि इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।

भ्रष्टाचार के मामले के बावजूद निदेशक बनाया

उन्होंने कहा, हम राज्य सरकार के रुख को स्वीकार करते हैं। हम उत्तराखंड सरकार को उक्त अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शीघ्र और तीन महीने के भीतर पूरी करने और केंद्र सरकार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन की मंजूरी देने और एक महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देते हैं। पीठ कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के पूर्व निदेशक राहुल की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी और उन्हें राजाजी बाघ अभयारण्य का निदेशक बनाया गया था।

पुराने दिनों के राजा

पीठ ने कहा था कि सरकार के प्रमुखों से "पुराने दिनों के राजा" होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है और हम "सामंती युग" में नहीं हैं। पीठ ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से राज्य के वन मंत्री और अन्य की राय की अनदेखी करते हुए आईएफओएस अधिकारी को राजाजी बाघ अभयारण्य के निदेशक के रूप में नियुक्त करने पर सवाल उठाया था। पीठ ने पूछा था, मुख्यमंत्री को उनसे (अधिकारी से) विशेष स्नेह क्यों होना चाहिए? इसने यह भी कहा, सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, क्या वह कुछ भी कर सकते हैं? : supreme court | Uttrakhand | uttrapradesh news


Mukesh Pandit

Mukesh Pandit

पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1989 में अमर उजाला से रिपोर्टिंग से करने वाले मुकेश पंडित का जनसरोकार और वास्तविकत पत्रकारिता का सफर सतत जारी है। उन्होंने अमर उजाला, विश्व मानव, हरिभूमि, एनबीटी एवं दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में फील्ड रिपोर्टिंग से लेकर डेस्क तक अपनी सेवाएं दीं हैं। समाचार लेखन, विश्लेषण और ग्राउंड रिपोर्टिंग में निपुणता के साथ-साथ उन्होंने समय के साथ डिजिटल और सोशल मीडिया को भी बख़ूबी अपनाया है। करीब 35 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ मुकेश पंडित आज भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं और जनहित, राष्ट्रहित और समाज की सच्ची आवाज़ बनने के मिशन पर अग्रसर हैं।

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