यूपी BJP का मास्टरस्ट्रोक, प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी?
क्या यूपी BJP अध्यक्ष के रूप में पंकज चौधरी का निर्विरोध चुना जाना तय है? क्या यह फैसला 2027 की राह आसान करेगा?
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा बदलाव केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनना अब लगभग तय है। लखनऊ में उन्होंने अकेले नामांकन दाखिल किया, जिससे उनका निर्विरोध चुना जाना निश्चित है। महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी की ताजपोशी को बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जिसका सीधा निशाना राज्य के छिटके हुए OBC वोटबैंक पर है। यह फैसला कई बड़े राजनीतिक समीकरणों को साधने वाला है। बीजेपी का 'Pankaj Chaudhary दांव' क्या कुर्मी वोटर्स की वापसी होगी?
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपना अगला प्रदेश अध्यक्ष चुनकर 2027 और 2029 के लिए अभी से किलेबंदी शुरू कर दी है। पंकज चौधरी का नाम सामने आते ही यह साफ हो गया कि पार्टी का फोकस अब भी पिछड़ा वर्ग OBC पर मजबूती से टिका है।
चौधरी, OBC वर्ग की कुर्मी जाति से आते हैं, जिसकी राज्य के कई हिस्सों में मजबूत पकड़ है। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को चिंता में डाल दिया था। पार्टी के आंतरिक आकलन से पता चला कि कुर्मी और कोइरी जैसे प्रमुख ओबीसी वोटबैंक का रुझान 2019 के 80 परसेंट समर्थन से घटकर 2024 में 61% पर आ गया था। वहीं, अन्य ओबीसी वोट भी 74% से 59% पर खिसक गए।
सियासी जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी के 'PDA' पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फॉर्मूले की चुनौती का जवाब देने के लिए ही बीजेपी ने पंकज चौधरी के नाम पर मुहर लगाई है। पार्टी अब हर हाल में इन वोटर्स को अपने पाले में वापस लाना चाहती है।
अकेले नामांकन, 'निर्विरोध' अध्यक्ष कैसे बनी पंकज चौधरी की राह?
लखनऊ में जब पंकज चौधरी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तो उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप-मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी ने ही स्थिति साफ कर दी थी। उनके अलावा किसी और नेता ने नामांकन फॉर्म नहीं भरा। इस 'अकेले नामांकन' के बाद, रविवार को होने वाले चुनाव की जरूरत ही नहीं पड़ी। अब बस औपचारिक ऐलान बाकी है, जिससे साफ है कि यह फैसला पार्टी आलाकमान की ओर से पूर्व-निर्धारित था।
पंकज चौधरी ने नामांकन से पहले मीडिया के सामने भले ही खुद को प्रदेश अध्यक्ष की रेस से बाहर बताया हो, लेकिन अंदरूनी खबर यह है कि संगठन मंत्री बीएल संतोष ने उन्हें पिछले रविवार को ही यह जिम्मेदारी संभालने का आग्रह कर दिया था। जल्द ऐलान निर्विरोध चुनाव के कारण अब जल्द ही नए अध्यक्ष के नाम का औपचारिक ऐलान हो जाएगा। तैयारी जोरों पर 14 दिसंबर को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में नए अध्यक्ष के स्वागत का कार्यक्रम भी आयोजित है।
गोरखपुर कनेक्शन: पूर्व अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी और सांसद कमलेश पासवान गोरखपुर क्षेत्र से उनकी मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि क्षेत्रीय संतुलन पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
योगी और चौधरी पूर्वी यूपी की शक्ति संतुलन की नई कहानी
पंकज चौधरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर क्षेत्र से आते हैं। यह एक दिलचस्प समीकरण है। महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी की राजनीति की शुरुआत पार्षद से हुई थी और वे गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रहे हैं। यह सच है कि स्थानीय राजनीति में शुरुआत से ही योगी आदित्यनाथ और पंकज चौधरी के बीच एक तरह की प्रतिस्पर्धा रही है।
अब पंकज चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनना, यूपी की राजनीति में शक्ति संतुलन के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे केंद्रीय नेतृत्व के एक रणनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं। पंकज चौधरी को केंद्र का भरोसेमंद चेहरा माना जाता है, और उनका अध्यक्ष पद पर बैठना इस बात का संकेत है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व और राज्य इकाई के बीच समन्वय को और मजबूत करना चाहती है। यह संतुलन आने वाले समय में पार्टी के फैसलों और रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


