UP BJP का अध्यक्ष कौन? क्या है OBC फेस और अमित शाह का मास्टरस्ट्रोक?
क्या है पूर्वांचल के गैर यादव OBCs वोट बैंक को साधने का मास्टरस्ट्रोक। जानें भाजपा के जातीय समीकरण की पूरी रणनीति।

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश भाजपा के अगले प्रदेश अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी का नाम करीब करीब फाइनल हो चुका है। गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर चली तीन घंटे की बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी। कुर्मी बिरादरी से आने वाले सात बार के सांसद पंकज चौधरी की दावेदारी पूर्वांचल में कुर्मी वोटों के छिटकने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा की OBC मास्टरस्ट्रोक मानी जा रही है। आज नामांकन के बाद रविवार को नए अध्यक्ष की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की घड़ी आ चुकी है। नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए आज यानी शनिवार को नामांकन होगा, जिसके बाद रविवार को नए अध्यक्ष की घोषणा होने की संभावना है। बहुप्रतीक्षित इस पद के लिए केंद्रीय मंत्री और महराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी का नाम सबसे आगे चल रहा है।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए जातीय समीकरणों को साधने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया है। इसी कड़ी में, प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी एक ओबीसी चेहरे को देने पर सहमति बनी है, और इस रेस में पंकज चौधरी ने बाकी सभी दावेदारों को पीछे छोड़ दिया है।
कुर्मी फैक्टर: पूर्वांचल की 'छिटकी' सियासी जमीन वापस लाने की तैयारी
पंकज चौधरी की दावेदारी मजबूत होने का सबसे बड़ा कारण उनका कुर्मी बिरादरी से होना है। कुर्मी उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी आबादी हैं और पूर्वांचल में इनकी अच्छी खासी तादाद है। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को पूर्वांचल की कई सीटों पर कुर्मी वोटों के छिटकने से बड़ा नुकसान हुआ था। सहयोगी दलों जैसे अपना दल के साथ गठबंधन के बावजूद, कई जगह कुर्मी मतदाता सपा के पाले में जाते दिखे। सवाल यह है कि पंकज चौधरी ही क्यों?
कुर्मी बिरादरी का बड़ा चेहरा पंकज चौधरी पूर्वांचल के कुर्मियों में एक स्थापित और पुरानी पैठ रखते हैं। सात बार सांसद रहने का उनका लंबा राजनीतिक अनुभव है।
ओबीसी वोट बैंक पर पकड़: भाजपा अपना पुराना 'कुर्मी, ठाकुर, ब्राह्मण' समीकरण मजबूत बनाए रखना चाहती है।
पंकज चौधरी की नियुक्ति: कुर्मी वोट बैंक को पार्टी से फिर से जोड़ने का सीधा प्रयास है।
संगठनात्मक अनुभव: पार्षद से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले पंकज के पास संगठन और प्रशासनिक दोनों तरह का अनुभव है, जो उन्हें संगठन की बागडोर संभालने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
बीते गुरुवार को, गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर चली मैराथन बैठक में, योगी सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह लोध बिरादरी और पंकज चौधरी कुर्मी बिरादरी के नामों पर देर तक मंथन हुआ। लेकिन, अंततः केंद्रीय नेतृत्व ने उस जातीय समूह को प्राथमिकता दी, जिसके वोटों ने हाल के चुनाव में पार्टी को सबसे ज्यादा चौंकाया था।
यह फैसला दर्शाता है कि भाजपा अब डैमेज कंट्रोल मोड में आ चुकी है। क्या यह नियुक्ति सिर्फ कुर्मी वोटों के लिए है, या इसके पीछे 2027 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव की दूरगामी रणनीति है? यह आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि भाजपा ने अपना अगला कदम सोच-समझकर उठाया है।
जानें कौन हैं पंकज चौधरी, पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
उत्तर प्रदेश भाजपा के संभावित अगले अध्यक्ष पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर करीब तीन दशक पुराना है। 15 नवंबर 1964 को गोरखपुर में जन्मे पंकज चौधरी ने एक छोटे स्तर से राजनीति शुरू की, जो आज उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े संगठन के शीर्ष पद तक ले जा रहा है।
पंकज चौधरी का संक्षिप्त राजनीतिक सफर
- 1989 गोरखपुर नगर निगम में पार्षद के तौर पर राजनीति की शुरुआत।
- 1990 भारतीय जनता पार्टी की जिला कार्य समिति के सदस्य बने।
- 1991 के 10वीं लोकसभा में महराजगंज संसदीय सीट से पहली बार सांसद चुने गए।
- 1996 से 1998 तक लगातार 11वीं और 12वीं लोकसभा में भी सांसद चुने गए।
- 2004 में एक हार के बाद फिर वापसी करते हुए सांसद निर्वाचित हुए।
- 2014 से लगातार 2014 — 2019 और हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनावों में महराजगंज से लगातार जीत दर्ज की।
- वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
सात बार के सांसद के रूप में, पंकज चौधरी का अनुभव उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और राजनीतिक रूप से जटिल राज्य के संगठन को चलाने की काबिलियत देता है।
मंत्रीमंडल विस्तार का भी प्लान: खरमास बाद होगा बड़ा बदलाव
नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के बाद योगी मंत्रिमंडल में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सूत्रों के अनुसार, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को और मजबूत करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार पर भी मंथन हुआ है। तय समय 15 जनवरी को खरमास खत्म होने के तत्काल बाद मंत्रिमंडल विस्तार को अंजाम दिया जाएगा। यह दिखाता है कि भाजपा सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष बदलकर नहीं रुकने वाली है।
आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए, एक समग्र और संतुलित जातीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सरकार और संगठन दोनों स्तरों पर बड़े फेरबदल की तैयारी है।
नामांकन और घोषणा का कार्यक्रम: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बहुप्रतीक्षित चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
मतदाता सूची शुक्रवार को जारी: सूची में कुल 464 मतदाता शामिल हैं जिसमें 5 सांसद, 26 एमएलए, 8 एमएलसी, और 425 प्रांतीय परिषद के सदस्य व जिला अध्यक्ष हैं।
नामांकन: शनिवार, 13 दिसंबर को दोपहर 2 से 3 बजे तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे।
घोषणा: केंद्रीय चुनाव अधिकारी व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रविवार, 14 दिसंबर को प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेंगे। यदि आवश्यक हुआ तो मतदान डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय परिसर में स्थित डॉ. आंबेडकर सभागार में होगा।
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की लखनऊ यात्रा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई मुलाकात ने भी इस पूरी प्रक्रिया को गति दी।
हालांकि, चर्चा कई नामों केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह आदि की थी, लेकिन अंत में जातीय समीकरणों का पलड़ा भारी रहा। पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना भाजपा की कुर्मी और ओबीसी वोट बैंक को फिर से साधने की एक सोची-समझी रणनीति है। सात बार के सांसद, केंद्रीय मंत्री और पूर्वांचल में गहरी पैठ रखने वाले चौधरी, संगठन को मजबूत करने और आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए भाजपा के लिए एक विश्वसनीय और अनुभवी विकल्प साबित हो सकते हैं।
यह नियुक्ति यह भी दर्शाती है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व अब यूपी की राजनीति में जातीय गणित को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहता है।


