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राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025: दुनिया के इन देशों में पहले से लागू है ये नियम

अक्सर लोगों की शिकायतें रहती हैं कि उन्हें दफ्तर से घर जाने के बाद भी काम करना पड़ता है या सीनियर के फोन और मेल का रिस्पांस देना पड़ता है।

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025: दुनिया के इन देशों में पहले से लागू है ये नियम
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नई दिल्ली, आईएएनएस। संसद में हाल ही में एक बिल पेश किया गया है, जो दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को 'राइट टू डिस्कनेक्ट' का हक देता है। स्मार्टफोन और डिजिटल दुनिया में काम से खुद को अलग कर पाना आज के समय में काफी मुश्किल हो गया है। अक्सर लोगों की शिकायतें रहती हैं कि उन्हें दफ्तर से घर जाने के बाद भी काम करना पड़ता है या सीनियर के फोन और मेल का रिस्पांस देना पड़ता है। ऐसे में लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने यह बिल पेश किया है। हालांकि, दुनिया के कई देशों में पहले से ही यह नियम लागू है।

25 देशों में राइट टू डिस्कनेक्ट नियम लागू

दुनिया के कम से कम 25 देशों में अब कर्मचारियों के लिए राइट टू डिस्कनेक्ट नियम लागू है। यूरोप, लैटिन अमेरिका, एशिया-पैसिफिक और अफ्रीका के कुछ देशों ने ऐसे कानून बनाए हैं, जो कंपनी के स्टाफ को ऑफिस से पहले और बाद के समय की सीमाओं का पालन करने के लिए मजबूर करते हैं। कुछ देशों में ये नियम सभी एम्प्लॉई पर लागू होते हैं, लेकिन कुछ देशों में ये टेलीवर्कर, रिमोट वर्कर, घर से काम करने वाले या डिजिटल नोमैड्स के लिए खास हैं।

फ्रांस दुनिया का पहला देश, जहां यह हक मिला

फ्रांस दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां कर्मचारियों को राइट टू डिस्कनेक्ट का हक मिला। फ्रांस में 2017 में इस कानून को अपनाया गया। इसके अलावा बेल्जियम में 20 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी से लिखित डिस्कनेक्शन पॉलिसी बनाने को कहा गया। बेल्जियम ने इसे 2022 से लागू किया। इटली ने 2017 में स्मार्ट-वर्किंग अरेंजमेंट के लिए राइट टू डिस्कनेक्ट कानून बनाया। इसके तहत सभी रिमोट-वर्क कॉन्ट्रैक्ट्स में आराम और डिजिटल डिस्कनेक्शन सुनिश्चित करने के तरीके बताने जरूरी थे।

पुर्तगाल में इसे 2021 में लागू किया

स्पेन ने 2018 और 2020 के बीच इसे लागू किया। पुर्तगाल में इसे 2021 में लागू किया गया, जो सबसे सख्त नेशनल कानूनों में से एक है। इसके अलावा, ग्रीस के 2021 के कानूनों ने टेलीवर्कर्स को ऑफिस के बाद के घंटों और छुट्टियों के दौरान डिस्कनेक्ट करने का अधिकार दिया। फिर लक्जमबर्ग ने 2023 में इंटरनल या बारगेन्ड डिस्कनेक्शन नियम लागू किया। स्लोवाकिया ने 2021 में टेलीवर्कर्स को ऑफिस के बाद डिजिटल कॉन्टैक्ट से बचाने के लिए अपने लेबर कोड में बदलाव किया। इसके अलावा, क्रोएशिया ने 2023 में राइट-टू-डिस्कनेक्ट नियम जोड़े।

छुट्टियों के दौरान डिस्कनेक्ट करने का अधिकार

स्लोवेनिया ने 2024 में आराम, बीमारी और छुट्टियों के दौरान डिस्कनेक्ट करने के अधिकार के लिए कानून बनाया। फिनलैंड और नीदरलैंड्स के बीच बाध्यकारी प्रभाव अनुबंध हैं जिनमें रिमोट वर्कर्स के लिए डिस्कनेक्शन प्रोटेक्शन शामिल हैं। जर्मनी पब्लिक सेक्टर और कुछ इंडस्ट्रीज में कानूनी रूप से लागू होने वाले डिस्कनेक्शन नियमों के साथ बाइंडिंग नियम लागू करता है।

लैटिन अमेरिका:

अर्जेंटीना में 2021, चिली में 2023, और मेक्सिको के संघीय श्रमिक कानून में 2021 में इसे जोड़ा गया। इसके अलावा, ब्राजील में 2022, कोलंबिया में 2021, पेरू में 2023, ऑस्ट्रेलिया में 2024, फिलीपींस में 2018, कजाकिस्तान, थाईलैंड में 2023, केन्या में 2022 और मोजाम्बिक में 2022 में राइट टू डिस्कनेक्ट से संबंधित कानून लाए गए।



Mukesh Pandit

Mukesh Pandit

पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1989 में अमर उजाला से रिपोर्टिंग से करने वाले मुकेश पंडित का जनसरोकार और वास्तविकत पत्रकारिता का सफर सतत जारी है। उन्होंने अमर उजाला, विश्व मानव, हरिभूमि, एनबीटी एवं दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में फील्ड रिपोर्टिंग से लेकर डेस्क तक अपनी सेवाएं दीं हैं। समाचार लेखन, विश्लेषण और ग्राउंड रिपोर्टिंग में निपुणता के साथ-साथ उन्होंने समय के साथ डिजिटल और सोशल मीडिया को भी बख़ूबी अपनाया है। करीब 35 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ मुकेश पंडित आज भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं और जनहित, राष्ट्रहित और समाज की सच्ची आवाज़ बनने के मिशन पर अग्रसर हैं।

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