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कमरा नंबर 22 और 18 लाख कैश का सच? क्या है आतंकी डॉक्टर शाहीन की लव स्टोरी?

दिल्ली ब्लास्ट की मास्टरमाइंड आतंकी डॉ. शाहीन की अलमारी से 18 लाख कैश और ब्रेजा कार का खुलासा। NIA को टेरर फंडिंग का शक। जानें क्या है जैश की कमांडर शाहीन की खतरनाक लव स्टोरी, जांच में खुले गहरे राज़?

कमरा नंबर 22 और 18 लाख कैश का सच? क्या है आतंकी डॉक्टर शाहीन की लव स्टोरी?
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली ब्लास्ट के मुख्य आरोपी आतंकी डॉक्टर शाहीन की अलमारी से 18 लाख रुपये कैश बरामद हुए हैं। यह बड़ी रकम NIA के लिए सबसे बड़ा सुराग बन गई है कि आखिर एक डॉक्टर के पास इतना पैसा कहां से आया, जिससे उसने हाल ही में एक ब्रेजा कार कैश में खरीदी थी। अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े इस 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' की साज़िश और शाहीन-मुजम्मिल की खतरनाक लव स्टोरी की परतें खुल चुकी हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA को दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा मिला है। आतंकी साजिश की मास्टरमाइंड, जैश-ए-मोहम्मद की महिला कमांडर डॉक्टर शाहीन के ठिकाने की तलाशी के दौरान कमरा नंबर 22 की अलमारी से 18 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं। यह रकम एक साधारण पॉलीथिन बैग में छुपाई गई थी। यह सिर्फ कैश नहीं, बल्कि एक गहरी, अंतर्राष्ट्रीय आतंकी साज़िश का सबसे बड़ा सबूत हो सकता है। ब्रेजा कार, कैश पेमेंट और टेरर फंडिंग का कनेक्शन जांच एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि डॉक्टर शाहीन के पास यह 18 लाख रुपये की मोटी रकम कहां से आई?

सितंबर 2023: शाहीन ने इसी साल 25 सितंबर को एक नई ब्रेजा कार खरीदी थी और उसका पेमेंट भी कैश में किया था।

टेरर फंडिंग का शक: NIA अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह पैसा टेरर फंडिंग का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल भारत में बड़े धमाकों और आतंकी नेटवर्क खड़ा करने के लिए किया जा रहा था।

साधारण पॉलीथिन में कैश: कमरा नंबर 22 की अलमारी में पॉलीथिन में छिपाया गया कैश बताता है कि शाहीन इस पैसे को बहुत गुप्त रखना चाहती थी, जिसे वह बैंक या अन्य वित्तीय माध्यमों से नहीं गुजारना चाहती थी।

अन्य बैंक खाते: जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन के सात बैंक खातों में 1 करोड़ 55 लाख से अधिक की रकम थी। उसके पास तीन पासपोर्ट भी मिले थे और वह तीन बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुकी थी।

कारें और विस्फोटक: जांच में यह भी पता चला है कि शाहीन और मुजम्मिल ने ब्रेजा कार खरीदी थी, जिसे विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए तैयार की जा रही 32 कारों में से एक माना जा रहा था।

यह मामला अब सिर्फ आतंकी साजिश का नहीं, बल्कि हावाला या विदेशी फंडिंग के जरिए देश में दहशत फैलाने की एक गहरी जड़ का भी है।

टेरर की 'लव स्टोरी' शाहीन और मुजम्मिल का नापाक गठजोड़

दिल्ली को दहलाने की साजिश रचने वाले इस नेटवर्क में दो मुख्य चेहरे हैं महिला आतंकी डॉ. शाहीन जैश की कमांडर और डॉ. मुजम्मिल शकील। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा यह आतंकी मॉड्यूल देश को बड़े धमाकों से दहलाने का नेटवर्क तैयार कर रहा था।

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महिला आतंकी डॉक्टर शाहीन ने उगले गहरे राज

NIA की पूछताछ में मुजम्मिल शकील ने डॉक्टर शाहीन के साथ अपने रिश्ते को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

पहली मुलाकात: मुजम्मिल ने बताया कि वह शाहीन से अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मिला था।

प्यार में पागल: शाहीन मुजम्मिल से उम्र और सैलरी दोनों में काफी बड़ी थी, लेकिन मुजम्मिल उसके प्यार में पागल हो गया।

2023 में निकाह: उनकी यह 'आशिकी' 2023 में निकाह तक पहुंची, जिसके बाद दोनों ने मिलकर इस नापाक साज़िश को अंजाम देना शुरू किया।

मुजम्मिल के कहने पर जुड़ी शाहीन ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह इस मॉड्यूल में मुजम्मिल के कहने पर जुड़ी थी और जैसा वह कहता था वैसा ही करती थी।

क्या है आतंकी शाहीन का मॉडर्न चेहरा?

मुजम्मिल से निकाह से पहले, शाहीन के दो और पति थे। पहले पति, जफर हयात मुंबई निवासी ने खुलासा किया था कि शाहीन के ख्यालात बेहद मॉडर्न थे। उसे बुर्के से चिढ़ थी और वह अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी देशों में बसना चाहती थी।

दूसरे पति गाजियाबाद में कपड़े का व्यापारी से भी उसका तालमेल नहीं बैठा, जिसके बाद वह अल-फलाह में मुजम्मिल के करीब आ गई।

यह खुलासा दिखाता है कि आतंकी अब सिर्फ धार्मिक या कट्टरपंथी पृष्ठभूमि के नहीं होते, बल्कि व्हाइट कॉलर और मॉडर्न चेहरों के पीछे भी छिप सकते हैं।

डॉ. मुजम्मिल कश्मीरी फल व्यापारी से आतंकी ठिकाने तक

व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल का मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल गनई सिर्फ एक डॉक्टर नहीं था, बल्कि उसने फरीदाबाद में आतंकी गतिविधियों के लिए कई ठिकाने बनाए थे।

नया खुलासा: मुज़म्मिल ने खोरी जमालपुर में एक पूर्व सरपंच, जुम्मा खान से एक तीन बेडरूम का मकान किराए पर लिया था। यह यूनिवर्सिटी से महज़ 4 किलोमीटर दूर था।

पहचान का नाटक: मुजम्मिल ने खुद को कश्मीरी फल व्यापारी बताया, जो अपना नया व्यवसाय शुरू करने वाला था।

तीन महीने का स्टे: उसने अप्रैल से जुलाई तक यहां रहकर हर महीने 8000 रुपये किराया दिया।

मकान मालिक की गवाही: जुम्मा खान ने बताया कि उन्हें कभी शक नहीं हुआ। उनकी पहली मुलाकात अल-फलाह अस्पताल में हुई थी, जहां उनके भतीजे का इलाज चल रहा था। मुजम्मिल ने गर्मी का बहाना बनाकर तीन महीने बाद घर खाली कर दिया।

DR SHAHIN TERRORIST LATEST UPDATE

विस्फोटक का सुराग और साजिश का केंद्र

NIA की जांच में पता चला है कि मुजम्मिल ने अपनी आतंकी साजिश को अंजाम देने के लिए बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री को छुपाया था। करीब 26 क्विंटल NPK खाद मुजम्मिल ने करीब 3 लाख रुपये में हरियाणा के गुरुग्राम और नूंह से 26 क्विंटल से अधिक NPK खाद उर्वरक खरीदा था, जिसका इस्तेमाल IED बनाने में होता है।

आटा चक्की का इस्तेमाल: विस्फोटक बनाने के लिए मुजम्मिल यूरिया पीसने के लिए एक आटा चक्की का इस्तेमाल करता था, जिसे NIA ने बरामद कर लिया है।

डीप फ्रीजर: रसायनों को स्थिर वातावरण में रखने के लिए एक डीप फ्रीजर का भी इस्तेमाल किया गया था।

छिपाने की जगहें: मुजम्मिल ने करीब 12 दिनों तक विस्फोटक सामग्री एक किसान की जमीन पर बने कमरे में छुपाई थी। बाद में उसने यह सामग्री फतेहपुर टागा गांव में मौलवी इश्तियाक के घर के कमरे में शिफ्ट कर दी। कुल 2500 किलोग्राम से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था।

हथियार: मुजम्मिल ने 5 लाख रुपये से अधिक में एक AK-47 राइफल भी खरीदी थी, जो डॉ. आदिल के लॉकर से बरामद हुई थी। यह विस्फोटक सामग्री ही दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश का केंद्र बिंदु थी।

जांच का फोकस: NIA के सामने बड़े सवाल टेरर फंडिंग का स्रोत

18 लाख रुपये के कैश और बैंक खातों में जमा करोड़ों की रकम का असली स्रोत क्या है? क्या यह पाकिस्तान या तुर्की स्थित हैंडलर अबू उकाशाह से मिला था?

नेटवर्क का विस्तार: क्या मुजम्मिल के इस 'व्हाइट कॉलर' नेटवर्क में अल-फलाह यूनिवर्सिटी या देश के अन्य हिस्सों से और डॉक्टर या शिक्षित लोग शामिल हैं? मदरसों तक पहुंची जांच भी इसी ओर इशारा कर रही है।

कोड वर्ड: आतंकियों ने हमले की तैयारी पूरी होने पर 'बिरयानी तैयार है, दावत के लिए तैयार हो जाओ' जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया था।

विस्फोटकों का अंतिम लक्ष्य: इतने बड़े पैमाने पर 2500 किलो से अधिक विस्फोटक का भंडारण करने का लक्ष्य क्या था? क्या यह सिर्फ दिल्ली नहीं, बल्कि अन्य पांच शहरों में भी तबाही फैलाने की साज़िश थी?

NIA की जांच अब इस बात पर केंद्रित है कि कैसे उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टरों का इस्तेमाल देश में जिहाद और दहशत फैलाने के लिए किया गया। यह घटना बताती है कि आतंकवाद अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि हमारे शहरों के शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों तक पहुंच चुका है।

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Ajit Kumar Pandey

Ajit Kumar Pandey

पत्रकारिता की शुरुआत 1994 में हिंदुस्तान अख़बार से करने वाले अजीत कुमार पांडेय का मीडिया सफर तीन दशकों से भी लंबा रहा है। उन्होंने दैनिक जागरण, अमर उजाला, आज तक, ईटीवी, नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंट और दैनिक जनवाणी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में फील्ड रिपोर्टिंग से लेकर डेस्क तक अपनी सेवाएं दीं। समाचार लेखन, विश्लेषण और ग्राउंड रिपोर्टिंग में निपुणता के साथ-साथ उन्होंने समय के साथ डिजिटल और सोशल मीडिया को भी बख़ूबी अपनाया। न्यू मीडिया की तकनीकों को नजदीक से समझते हुए उन्होंने खुद को डिजिटल पत्रकारिता की मुख्यधारा में स्थापित किया। करीब 31 वर्षों के अनुभव के साथ अजीत कुमार पांडेय आज भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं और जनहित, राष्ट्रहित और समाज की सच्ची आवाज़ बनने के मिशन पर अग्रसर हैं।

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