सर्दी-जुकाम में तुरंत राहत: संजीवनी हैं ये आयुर्वेदिक काढ़े!
सर्दियों के मौसम में आयुर्वेद के काढ़े बहुत काम आते हैं। ये शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं, इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और वायरस से लड़ने की शक्ति देते हैं।

नई दिल्ली। सर्दियों में सर्दी-खांसी और जुकाम एक आम समस्या है, लेकिन आयुर्वेदिक काढ़े इनके लक्षणों में तुरंत और प्रभावी राहत देते हैं। यह काढ़ा आपकी इम्युनिटी को भी बढ़ाता है। सर्दियों के मौसम में खांसी और जुकाम के कारण अक्सर शरीर थका हुआ महसूस करता है और पूरे दिन की एनर्जी खत्म हो जाती है। नाक बहना, गले में खराश और हल्की बुखार जैसी तकलीफें आम होती हैं। ऐसे में आयुर्वेद के काढ़े बहुत काम आते हैं। ये शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं, इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और वायरस से लड़ने की शक्ति देते हैं।
आयुर्वेदिक काढ़े
इसे बनाने के लिए, एक पैन में पानी उबालें और उसमें तुलसी के पत्ते, कद्दूकस किया हुआ अदरक, काली मिर्च, दालचीनी और लौंग डालकर धीमी आँच पर 10-15 मिनट तक उबालें जब तक कि पानी आधा न हो जाए। छानने के बाद, गले की खराश और कफ से तुरंत राहत पाने के लिए इसमें एक चम्मच शहद और नींबू का रस मिला लें। इस काढ़े में मौजूद तुलसी और अदरक एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो कफ को पतला करते हैं और बंद नाक को खोलते हैं।दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करने से आपको न केवल जुकाम में तुरंत आराम मिलेगा, बल्कि आप मौसमी संक्रमणों से भी बचे रहेंगे।
कफ दोष बढ़ने की वजह
आयुर्वेद के अनुसार, सर्दी और खांसी मुख्य रूप से कफ दोष बढ़ने की वजह से होती है। इसलिए गर्म, तीखे और हल्के रूखे गुण वाले काढ़े कफ को घटाते हैं और तुरंत राहत देते हैं। अदरक, दालचीनी, काली मिर्च और तुलसी कफ को संतुलित करते हैं, वहीं गिलोय और हल्दी शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत बनाते हैं।
अदरक-तुलसी का काढ़ा
पहला असरदार काढ़ा है अदरक-तुलसी का काढ़ा। अदरक शरीर की जकड़न को कम करता है और सूजन घटाता है और तुलसी इम्युनिटी बढ़ाती है। इसके लिए एक इंच अदरक के टुकड़े और 10-12 तुलसी की पत्तियां दो कप पानी में उबालें। स्वाद के लिए शहद डाल सकते हैं। इसे दिन में 1-2 बार पीना काफी है।
काली मिर्च-लौंग-दालचीनी
दूसरा काढ़ा है काली मिर्च-लौंग-दालचीनी वाला। यह बहुत गर्म तासीर वाला होता है, जो कफ को पिघलाकर बाहर निकालता है। काली मिर्च वायरस की एक्टिविटी घटाती है, लौंग गले के दर्द में राहत देती है और दालचीनी शरीर को गर्म रखती है।
गिलोय-अदरक काढ़ा
तीसरा है गिलोय-अदरक काढ़ा। गिलोय आयुर्वेद में अमृत माना जाता है और अदरक के साथ लेने से संक्रमण जल्दी घटता है। चौथा है हल्दी-दूध (गोल्डन मिल्क)। हल्दी एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी है, दूध शरीर को आराम देता है और गले की खराश में तुरंत राहत देता है।
मुलेठी-तुलसी काढ़ा
पांचवां है मुलेठी-तुलसी काढ़ा। मुलेठी गले की जलन मिटाती है और तुलसी प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है। हालांकि ध्यान रखें कि बहुत गर्म तासीर वाले काढ़े ज्यादा मात्रा में न लें। काढ़े दवा का विकल्प नहीं हैं, लेकिन राहत देने और इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"


