स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश: त्वचा को निखारें, सेहत संवारें!
आयुर्वेद में 'स्नेहन' (तेल मालिश) को दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग माना गया है, जिसमें तिल का तेल सर्वोत्तम है। स्नान से ठीक पहले इस तेल की हल्की मालिश करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं।

नई दिल्ली। आयुर्वेद में 'स्नेहन' (तेल मालिश) को दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग माना गया है, जिसमें तिल का तेल सर्वोत्तम है। स्नान से ठीक पहले इस तेल की हल्की मालिश करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। तिल का तेल विटामिन-ई और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो त्वचा को गहराई से पोषण और नमी देता है, रूखेपन को दूर कर प्राकृतिक चमक और लोच लाता है।
ठंड के मौसम में त्वचा शुष्क
ठंड के मौसम में त्वचा शुष्क हो जाती है और रूखापन बढ़ जाता है। ऐसे में आयुर्वेद स्नान से पहले तिल के तेल से हल्की मालिश करने की सलाह देता है। यह न केवल त्वचा को नमी प्रदान करता है, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और तन-मन दोनों को तरोताजा रखता है। मालिश से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे मांसपेशियों को आराम मिलता है, शरीर की थकान दूर होती है और जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है। यह वात दोष को शांत करता है और नींद की गुणवत्ता को सुधारने में सहायक है। यह सरल उपाय न केवल आपकी त्वचा को स्वस्थ बनाता है, बल्कि संपूर्ण सेहत को भी दुरुस्त रखता है।
प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति
आयुर्वेद स्नान से पहले तिल के तेल से शरीर की मालिश को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देता है। स्नान से पहले तिल के तेल से हल्की मालिश करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। यह प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति न केवल त्वचा को पोषण देती है, बल्कि रक्त संचार को बेहतर बनाती है और प्राकृतिक चमक लाती है।भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी इस आयुर्वेदिक पद्धति को बेहद फायदेमंद बताता है। तिल का तेल आयुर्वेद में 'स्नेहन' के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। स्नान से पहले इस तेल से पूरे शरीर पर हल्के हाथों से मालिश करने से त्वचा की नमी बनी रहती है, रूखापन दूर होता है और ठंड के मौसम में होने वाली समस्याओं से राहत मिलती है। यह प्रक्रिया, जिसे अभ्यंग कहा जाता है, शरीर को तरोताजा रखती है और मन को शांति प्रदान करती है।
एंटीऑक्सीडेंट्स
आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन ई और आवश्यक फैटी एसिड से भरपूर होता है। हल्की मालिश से यह तेल त्वचा में गहराई तक प्रवेश करता है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। सर्दियों में यह विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि ठंडी हवा त्वचा को शुष्क बना देती है। नियमित मालिश से जोड़ों का दर्द, थकान और तनाव कम होता है। इसके अलावा, यह मालिश इम्यूनिटी को बूस्ट करती है और वात दोष को संतुलित रखती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि तिल का तेल बच्चों और बड़ों दोनों के लिए सुरक्षित और प्रभावी होता है। मालिश के बाद गुनगुने पानी से स्नान करने से तेल के गुण शरीर में अच्छी तरह अवशोषित हो जाते हैं, जिससे त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।
दिनचर्या का हिस्सा
विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना 10-15 मिनट की यह मालिश दिनचर्या का हिस्सा बननी चाहिए। तेल को हल्का गुनगुना करके लगाएं और सर्कुलर मोशन में मालिश करें। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधारता है, बल्कि मानसिक स्फूर्ति भी देता है।


